सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 10
अंग्रेजों के विरुद्ध भारत की पहली मानव बम..
सन् 1780 में रानी वेलु नचियार ने आसपास के राजाओं के साथ एक संधि की और अब वह अंग्रेजों से युद्ध करने के लिए पूरी तरह तैयार थीं। वे अपनी सेना लेकर शिवगंगाई की ओर चल पड़ी, उनकी सेनापति कुयिली उनके साथ थी।
शिवगँगाई पहुँचने से पहले रानी को तीन स्थानों पर शत्रु सेना का सामना करना पड़ा- सबसे पहले मदुरई कोचदई, फिर थिरूभुवनम और अंत में कलाइयारकोल।
रानी की सेना ने इन तीनों ही स्थानों पर शत्रुओं को बुरी तरह परास्त किया।
उत्साह से भरी हुई रानी की सेना अब शिवगँगाई की ओर चल पड़ी, उनका उद्देश्य था शिवगंगाई किले पर कब्जा करना और शहर से अंग्रेजों को बाहर खदेड़ देना।
रानी ने अपने गुप्तचर पहले ही शहर और किले में तैनात कर रखे थे, जिससे उन्हें शत्रु की प्रत्येक गतिविधि की सूचना मिलती रहती थी। जब रानी शिवगँगाई की ओर बढ़ रही थीं तो उन्हें एक गुप्तचर से सूचना मिली की अंग्रेजों ने शिवगँगाई किले से आगे मार्ग में लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपें लगा रखी हैं, और उनकी सेना भी पूरी तरह तैयार है।
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