सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 9
केलाड़ी राज्य के राजकाज में रानी चेन्नम्मा का योगदानः
रानी बनने के पश्चात् चेन्नम्मा ने शस्त्र विद्या सीखनी आरम्भ कर दी, शीघ्र ही वे अस्त्र- शस्त्र के प्रयोग में पारंगत हो गई। बुद्धिमान तो वह थी हीं, जल्दी ही राजनीति और नीति शास्त्र आदि भी समझने लगीं।
राजा सोमशेखर नायक उन पर पूरा विश्वास करते थे, और उनकी बुद्धिमत्ता के भी कायल थे। राजा अब राज्य की न्यायिक और राजनीतिक समस्याओं में भी रानी की सहायता लेने लगे थे।
केलाड़ी की आम प्रजा भी अपनी रानी के इन गुणों से प्रभावित और अभिभूत थी।