सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 10
अंग्रेजों के विरुद्ध भारत की पहली मानव बम..
सेनापति कुयिली के मन में एक योजना जन्म लेने लगी थी। बहुत सोच विचारकर उन्होंने अपनी योजना रानी वेलु नचियार के समक्ष रखी। उन्होंने स्वयं अपनी योजना को पूरा करने का बीड़ा उठाया और उसके लिए विजयादशमी का ही दिन चुना। रानी वेलु नचियार ने कुयिली की इस योजना को मान लिया।
कुयिली ने अपनी महिला साथियों को अलग-अलग समूहों में बाँट दिया। उन्होंने हर समूह को समझाया कि कैसे और क्या करना है। सबने तीर्थयात्रियों वाला भेष धारण कर लिया। रानी वेलु नचियार भी भेष बदल कर इन्हीं में शामिल हो गई।
फिर सारे समूह राजराजेश्वरी मंदिर की ओर चल पड़े। कुयिली जानती थी कि राजराजेश्वरी मंदिर में विशेष पूजा के तीन चरण होते हैं। इसलिए तय किया गया कि तीसरे चरण के बाद जब अधिकतर तीर्थयात्री बाहर जा चुके होते हैं, तब हमला किया जाएगा। ठीक उसी समय रानी की सेना बाहर से शिवगँगाई पर आक्रमण करेगी।
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