श्रुतम्

रानी चेन्नम्मा-6

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 9

छत्रपति शिवाजी महाराज के ज्येष्ठ पुत्र संभाजी की मृत्यु के पश्चात् *उनके छोटे पुत्र राजाराम भोसले को 12 मार्च, 1689 को रायगढ़ में नया मराठा राजा घोषित किया गया।

25 मार्च, 1689 को मुगलों ने रायगढ़ के आसपास के क्षेत्र को घेर लिया। मराठों ने युद्ध के बीच राजाराम को सुरक्षित निकालने के लिए कवलया घाट से होते हुए तमिलनाडु का रास्ता चुना। राजाराम की इच्छा जिंजी किले में पहुँचने की थी।

‘जिंजी किला’ तमिलनाडु के विल्लुपुरम में है। यह किला बारहवीं शताब्दी में चोल राजाओं ने बनवाया था, और बाद में विजयनगर के राजाओं ने इसका विस्तार किया। यह किला बहुत ही सुदृढ़ है और इसका मार्ग बहुत दुर्गम है।
सन 1649 में इस पर बीजापुर सल्तनत ने कब्जा कर लिया था। 1677 ई में छत्रपति शिवाजी महाराज ने बीजापुर की फौजों को पराजित कर इस पर कब्जा कर लिया। मराठों का मानना था कि यह किला भारत के सर्वाधिक मजबूत और दुर्जेय किलों में से है। इसलिए राजाराम को मुगलों से बचाकर रखने के लिए उन्होंने इस किले का चयन किया।

राजाराम भेष बदलकर केलाड़ी में रानी चेन्नम्मा के पास पहुँचे। उन्होंने जिंजी किले तक जाने के लिए सहायता और सुरक्षा की माँग की। रानी चेन्नम्मा जानती थीं कि यदि उन्होंने राजाराम की सहायता की तो मुगल उन पर आक्रमण करेंगे, परंतु फिर भी आक्रमणकारी विधर्मियों के विरुद्ध उन्होंने मराठों की सहायता करने का ही निश्चय किया।

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