श्रुतम्

कुयिली-4

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 10

अंग्रेजों के विरुद्ध भारत की पहली मानव बम..

सैन्य साजो सामान के मामले में अंग्रेज पहले ही भारतीयों से आगे थे; उनकी तोपें अधिक दूरी तक और सटीक निशाना लगाने में सक्षम थीं। रानी वेलू नचियार समझ गई कि ऐसे में सेना को आगे ले जाकर आक्रमण करना मूर्खता होगी, परिणामतः अपनी सेना की भारी हानि होगी और पराजय की संभावना कई गुना बढ़ जाएगी।
गुप्तचरों ने यह भी बताया कि अंग्रेजों ने शिवगंगाई महल में राजराजेश्वरी मंदिर के अंदर एक गोदाम में अपना गोला-बारूद और बंदूकें जमा करके रखी हैं।

रानी ने अपनी सेना का शिविर शिवगंगाई से थोड़ा दूर लगा लिया। उन्होंने अपने सेनापतियों के साथ मंत्रणा की और आगे की रणनीति पर विचार करने लगी। सब इसी उधेड़बुन में थे कि कैसे अंग्रेजों की भारी तोपों और लंबी दूरी तक मार करने वाली बंदूकों का सामना किया जाए।

महिला सेनापति कुयिली भी इसी उधेड़बुन में थी, तभी उन्होंने कुछ महिलाओं के समूह को नंगे पैर शिवगँगाई की तरफ जाते देखा। वे सभी तीर्थयात्री लग रहीं थी। कुयिली उनके पास पहुँची और उनसे पूछा तो उन लोगों ने बताया कि वे लोग विजयादशमी पर राजराजेश्वरी मंदिर में महादेव और माँ शक्ति की होने वाली विशेष पूजा में भाग लेने जा रहे हैं। क्योंकि अंग्रेज विजयादशमी के दिन ही महिलाओं को राजराजेश्वरी मंदिर में पूजा के लिए जाने देते थे।

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