सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-20
जिन्होंने ब्रिटिश राज का विरोध किया और उन्हें दो बार हराया…
अंग्रेज बहुत शातिर और कुटिल थे। असल में वे वीरापांड्या कट्टाबोम्मन को सेतुपति के महल रामालिंगा विलासम में गिरफ्तार कर उन्हें ऐसी सजा देना चाहते थे ताकि अन्य कोई उनके विरुद्ध सिर उठाने का साहस न कर सके। जैक्सन को स्पष्ट निर्देश था कि यदि वीरापांड्या कट्टाबोम्मन उसकी बात से सहमत नहीं होता तो उन्हें गिरफ्तार कर ले।
वीरापंड्या को यह अंदेशा पहले से था इसलिए वे भी अपनी ओर से पूरी तैयारी से गए थे। फिर भेंट में वही हुआ जिसका अंदेशा था। बात न मानने पर जैक्सन ने वीरापांड्या कट्टाबोम्मन को गिरफ्तार करने की कोशिश की। वहाँ हुई लड़ाई में वीरापांड्या ने अंग्रेज डिप्टी कमांडेंट क्लार्क को मार गिराया। वहाँ से अपने सैनिकों के साथ सुरक्षित निकलने के लिए उन्होंने लड़ाई में अनेक ब्रिटिश सिपाहियों को मार डाला।
समस्या सुलझाने और वीरपांड्या कट्टाबोम्मन को गिरफ्तार करने में जैक्सन की असफलता को देखते हुए अंग्रेजों ने उसे उसके पद से हटा दिया। उसकी जगह सन् 1799 में तिरुनेलवेली का नया कलेक्टर लूसिंग्टन (Lusington) को बनाया गया।
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