सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-25
जिन्होंने सन् 1822-24 में अपने पराक्रम से अंग्रेजों को दहला दिया था…
कल्याण सिंह गुर्जर या लोक भाषा में कलुआ गुर्जर, एक जाने-माने पहलवान थे। उनका शारीरिक सौष्ठव किसी पहलवान जैसा ही था।
राजा विजयसिंह कुंजा बहादुरपुर नाम की छोटी सी रियासत के राजा थे। यह क्षेत्र अब रुड़की में पड़ता है और तीन दिशाओं से हरिद्वार, सहारनपुर और देहरादून से घिरा हुआ है।
दुख की बात है कि हमें इस रियासत, यहाँ के राजा और उनके इस बहादुर सेनापति कल्याण सिंह गुर्जर के विषय में अधिक पता ही नहीं है। ये वीर और इनकी साहसिक गाथा वामपंथी इतिहासकारों की अनदेखी में मानो कहीं खो गई हैं।
कल्याण सिंह गुर्जर के बचपन के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती है। कैसल की पुस्तक इलस्ट्रेटेड हिस्ट्री ऑफ इंडिया बाय जेम्स ग्रांट (kessel’s Book Illustrated History of India by James Grant) में कल्याण सिंह गुर्जर और उनके आठ सौ योद्धाओं के बारे में विस्तार से वर्णन उल्लेखित है।
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