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महान गणितीय श्रीनिवास अयंगर रामानुजन “27 अक्टूबर / पुण्यतिथि”

महान गणितीय श्रीनिवास अयंगर रामानुजन “27 अक्टूबर / पुण्यतिथि”

श्रीनिवास अयंगर रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को तमिल नाडु के कोयंबटूर जिले के ईरोड गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम श्रीनिवास अय्यंगर और माता का नाम कोमलताम्मल था।

जब रामानुजन एक वर्ष के थे तभी से उनका परिवार कुंभकोणम में आकर बस गया था। इनके पिता एक स्थानिय व्यापारी के पास मुनीम का कार्य करते थे। शुरू में रामानुजन का बौद्धिक विकास दूसरे बालकों जैसा नहीं था और वह तीन वर्ष की आयु तक बोलना भी नहीं सीख पाए थे, जिससे उनके माता-पिता को चिंता होने लगी।

रामानुजन ने अपनी प्राथमिक शिक्षा कुंभकोणम के प्राथमिक स्कूल से ही ली थी। इसके बाद मार्च 1894 में, रामानुजन का दाखिला तमिल-मीडियम स्कूल में करवाया गया था।पर रामानुजन को शुरु से ही गणित विषय से अत्याधिक लगाव था इसकी वजह से रामानुजन का मन दूसरी शिक्षा में नहीं लगता था।

इसके बाद उन्होंने 10 साल की उम्र में प्राइमरी परीक्षा में जिले में सबसे ज्यादा अंक प्राप्त किए थे और आगे की शिक्षा के लिए रामानुजन ने टाउन हाईस्कूल मे दाखिल लिया। वे शुरु से ही काफी होनहार छात्र ओर सौम्य(बुद्धिमानी) स्वभाव के बालक थे।

रामानुजन को गणित और अंग्रेजी विषय में रामानुजन के सबसे अच्छे अंक आने की वजह से स्कॉलरशिप भी मिली थी, धीरे-धीरे रामानुजन गणित में इतने खो गए कि उन्होंने अन्य विषयों को पढ़ना तक छोड़ दिया था, जिसकी वजह से वे गणित को छोड़कर अन्य सभी विषयों 12वीं में फेल हो गए। फिर 1907 में उन्होंने 12 वीं कक्षा की प्राइवेट परीक्षा दी जिसमे वे फिर से फ़ैल हो गए.

एक ट्रेन यात्रा में रामानुजन के माता पिता ने रामानुजन की शादी तय कर ली थी. रामानुजन की पत्नी का नाम जानकी था । रामानुजन की शादी 1909 में हुई थी । जिसमे रामानुजन 21 वर्ष के रामानुजन ओर जानकी 9 वर्ष की थी। हालाँकि विवाह होने के बाद जानकी वापस अपने माता पिता के पास चली गयी.

बाद मे रामानुजन को 1912 में जब एक क्लर्क की नौकरी मिली थी तब जानकी इनके साथ रहने के लिए आ गई.रामानुजन स्वभाव से शर्मीले और साफ सुथरे विचार वाले थे. इसलिए जानकी इनके आखिर समय तक रामानुजन की सेवा करती रही और रामानुजन के मरने के बाद दूसरी शादी नहीं की.

जब रामानुजन 13 साल की उम्र में थे तब एस.एल. लोनी (S.l.lony) द्वारा लिखित पुस्तक एडवांस ट्रिगनोमेट्री के मास्टर बन चुके थे और उन्होंने खुद से बहुत सारी प्रमेय (theorem) बनाई. सिर्फ 17 साल की उम्र में ही इन्होने बर्नोली नम्बरों की जाँच की और दशमलव के 15 अंको तक एलुयेर (Euler) कांस्टेंट की वैल्यू खोज की थी.

श्रीनिवास रामानुजन की खोज (Ramanujan ne kiski khoj ki) रामानुजन आविष्कार | श्रीनिवास रामानुजन किस लिए प्रसिद्ध है, रामानुजन प्रमेय-
रामानुजन ने 33 साल के अपने जीवन में 3900 से ज्यादा समीकरणों का संकलन किया था.ओर उनके समीकरण मे सबसे महत्वपूर्ण और उपयोगी अलगोरिधम के पाई की श्रृंखला हैं. दो संख्याओं के घनो  को रामानुजन संख्या के रूप में माना जाता हैं.क्योंकि 1729 ये 10 और 9 के घन का योग हैं. इसीलिए 1729 को रामानुजन संख्या कहा जाता हैं.

साल 1918 में रामानुजन ने अपनी 31 साल की उम्र में गणित के 120 सूत्र लिखे जो अंग्रेजी प्रोफ़ेसर जी.एच. हार्डी के पास भेजे थे जांच के लिए। हार्डी ने उन गणित के सूत्रों को देखकर प्रभावित हो गए ओर रामानुजन को हार्डी ने  कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (cambridge university) आने का न्योता दिया। साल 1918 के अक्टूबर में रामानुजन को ट्रिनिटी कॉलेज की सदस्यता प्रदान करने वाले वे पहले भारतीय बने थे.

रामानुजन की मृत्यु 26 अप्रैल 1920 को TB(Tuberculosis) बीमारी के कारण हुई थी । जब रामानुजन की मृत्यु हुई थी तब उनकी उम्र सिर्फ 33 वर्ष की थी.जो पूरी दुनिया को आघात लगा था । रामानुजन ने अपने 33 वर्ष के जीवन में 3884 से ज्याद समीकरण (equation) बनाये.

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