आध्यात्म श्रुतम्

सबके राम-26 “रामतत्त्व के शक्ति पुंज”

सबके राम-26 “रामतत्त्व के शक्ति पुंज”

‘मंदोदरी’ राजनीति की जानकार थीं और राज-काज में रावण की सहायिका भी थी। उसने लंकावासियों के जनमत को जानने के लिए अपना सूचना-तंत्र बनाया हुआ था। मंदोदरी ने रावण को बार-बार समझाया कि भगवान् राम का वास्तविक स्वरूप क्या है? और रावण के लिए कितना प्रतिकूल है। मंदोदरी ने रावण से कहा था कि वह सीता को राम के पास वापस भेज दें, अन्यथा उसके विनाश को स्वयं ब्रह्मा और शंकर भी नहीं रोक सकेंगे।
सुनहु नाथ सीता बिनु दीन्हें।
हित न तुम्हार संभु अज कीन्हें॥

रावण के अहंकार के सामने मंदोदरी असफल रहीं, और लंकापति रावण तथा उसकी लंका का नाश हुआ।

रामायण के स्त्री पात्र, जो लंका में मिलते हैं, उनमें ‘लंकिनी’ विशेष महत्त्वपूर्ण है। लंकिनी हनुमानजी को लंका में जाने का रास्ता बताते हुए विजय का उपाय भी बताती है। वह कहती है कि रघुनाथजी को हृदय में रखकर नगर में प्रवेश कीजिए। ऐसा करने से विष अमृत हो जाता है। शत्रु मित्रता करने लगते हैं। समुद्र गाय के खुर के बराबर हो जाता है। अग्नि में शीतलता आ जाती है। यानी विजय का रास्ता राम की भक्ति से ही निकलता है-
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा।
हृदय राखि कोसलपुर राजा॥
गरल सुधा रिपु करहिं मिताई।
गोपद सिंधु अनल सितलाई॥

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