सबके राम-30 “रामतत्त्व के शक्ति पुंज”
राम अयोध्या के राजकुमार थे। इक्ष्वाकु वंश के 64वें राजा थे। सूर्यवंशी सम्राट् थे। पिता की आज्ञा से वनवास को गए। राम अयोध्या से निकलकर आज के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु होकर लंका तक गए।
अयोध्या में सरयू के तट से लेकर रामेश्वरम् में समुद्र तट तक प्रभु राम के चिन्ह आज भी उपलब्ध हैं। अब तो उन 298 स्थानों पर जहाँ-जहाँ राम के चरण पड़े, उन्हें चिह्नित कर वहाँ पहचान के पत्थर लगवाए जा रहे हैं, जिससे रामभक्त सुगमता से उस पथ पर चल सकें, जिसपर कभी राम के चरण पड़े।
जिस तमिलनाडु से सनातन पर सबसे ज्यादा हमले किए जाते हैं, उसी तमिलनाडु में राम के सबसे ज्यादा प्रमाण हैं। रामायण में जिन स्थानों का उल्लेख है, उनमें पच्चीस स्थान तमिलनाडु में ही हैं। सेलम से लेकर रामनाथपुरम् तक हर जगह प्रभु राम के चरण-चिह्न मिलते हैं।
सेलम जिले में तो ‘अयोध्यापट्टनम’ नाम की जगह है, जहाँ आज भी राम का प्राचीन मंदिर है। कहते हैं, स्थानीय लोगों ने यहाँ राम का पट्टाभिषेक किया था, इसलिए इस स्थान का नाम अयोध्यापट्टनम पड़ गया।
श्रीराम का चरित्र, आचरण इतना उच्च कोटि का था कि वे विश्व के आदर्श पुरुष “मर्यादा पुरुषोत्तम” कहलाए। रघुकुल की रीति और वचनबद्धता के पर्याय श्रीराम हैं।
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