आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-20

आज इसरो नित्य नई-नई उपलब्धि के कीर्तिमान स्थापित कर दुनिया को चौंका रहा है। इसने अपने नए मापदंड स्थापित कर दिए। 104 सेटेलाइट्स को एक साथ जब सबसे कम दर पर इसरो ने अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया, उसके बाद दुनियां के कई देशों ने अपने सेटेलाइट भारत से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए आवेदन किया है। भारत 31 देशों के सेटेलाइट्स इसरो के माध्यम से प्रक्षेपित कर चुका है। अमेरिका भी अपने सैकड़ों सेटेलाइट्स हमसे प्रक्षेपित कराता है। आज भारत विश्व का सबसे सस्ता लांचिंग पैड है। अकेले अमेरिका ने अपने 237 सेटेलाइट्स भारत से प्रक्षेपित कराए हैं।

हमारी यह उपलब्धि छोटी नहीं है। चाहे सॉफ्टवेयर का क्षेत्र हो या सुपर कंप्यूटर का, सभी में भारत आगे है। जब सुपर कंप्यूटर महँगा हुआ, तो भारत के वैज्ञानिकों ने सस्ते में बनाकर दिखाया। बाहर के देशों द्वारा हैवी वाटर देने से मना किया गया, तो भारत ने अपना हैवी वाटर का प्लांट लगा दिया। हर क्षेत्र में हम अपनी ही शक्ति और सामर्थ्य के आधार पर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं।

आत्मनिर्भरता के आयाम बड़े व्यापक हैं। सभी को रोजगार मिले, यह आवश्यक है। लेकिन प्रत्येक व्यक्ति की रुचि, उसकी प्रकृति और क्षमता के अनुसार, उसकी आवश्यकता के अनुसार रोजगार मिले और उसके साथ हमारी आत्मनिर्भरता भी आगे बढ़े, यह हमारा प्रयास है।
भारत किसी भी देश के आगे मजबूरी में खड़ा न हो, यह आत्मनिर्भरता की पहली आवश्यकता है, जो वर्तमान में दिखाई देती है और अनुभव भी हो रही है।

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