“क्रांतिकारी संगठन” ५-एक सफल युवा क्रांतिकारी”
सरकारी गुप्तचर विभाग के अधिकारियों ने केशवराव हेडगेवार को एक प्रखर सफल क्रांतिकारी बताते हुए ।
इनके विरुद्ध लम्बी-लम्बी रपटें सरकार के पास भेजीं परन्तु इस अति सतर्क युवा राष्ट्रभक्त के क्रियाकलापों के ठोस सबूत जुटा पाने में गुप्तचर विभाग को कभी सफलता नहीं मिली।
काम हो जाने के बाद ही काम का पता चलता था।लाख सर पटकने के बाद भी क्रांतिकारी गतिविधियों के स्थान, नेता तौर तरीकों और सहयोगियों की जानकारी कुछ भी हाथ नहीं लगता था।
अनेक गुणों से केशवराव हेडगेवार ने कलकत्ता में रहते हुए तीन प्रमुख कार्य सफलतापर्वक सम्पन्न कर लिए। डॉक्टरी का अपना अध्ययन, कक्षा के अध्यापकों द्वारा पढ़ाया गया पाठ अथवा प्रयोगशाला में करवाए गए प्रयोगों पर ही निर्भर रहते हुए वह प्रत्येक वर्ष में उत्तीर्ण होते रहे। कक्षा के बाहर आकर तो वह अपने वास्तविक उद्देश्य की पूर्ति के लिए ही जुटे रहते थे।
अनुशील समिति के एक प्रमुख सदस्य के नाते उन्हें जो काम दिया गया उसे उन्होंने पूरी ताकत के साथ सम्पन्न कर दिया।
शस्त्रों की तैयारी, उनका वितरण, एक्शन की योजना और कार्यान्वयन, क्रांतिकारियों को गुप्त स्थान पर रखना और गुप्तचर विभाग की नजरों से भी बचे रहना आदि जोखिम भरे काम वह कक्षा के बाहर आकर करने लगे।
इन्हीं दिनों गुप्तचर विभाग ने एक युवा को केशवराव की गतिविधियों का निरीक्षण करने के लिए नियुक्त किया। इसे केशवराव और उनके साथियों के साथ ही छात्रावास में रहने की व्यवस्था भी कर दी गई।
केशवराव ने अपनी पैनी दृष्टि से इस गुप्तचर की हरकतों को पहचान लिया और एक दिन उसकी अनुपस्थिति में उसके बक्से में से सभी गुप्त कागज निकाल उसकी पोलपट्टी खोली और अपने साथियों को सतर्क कर दिया।
इस तरह केशवराव ने उस गुप्तचर की ही गुप्तचरी करनी शरु कर दी।
क्रमशः
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