श्रुतम्

विकसित भारत 2047 की संकल्पना-29

विकसित भारत 2047 की संकल्पना-29

समृद्ध, सशक्त एवं खुशहाल भारत-3

इस परिपेक्ष्य में हम स्वतंत्रता के विगत 75 वर्षों का भी अवलोकन करें तो देश में सन् 1951-1991 तक साम्यवादी विचारधारा के आधार पर जो अर्थतंत्र चला, उससे उन 40 वर्षों में न तो रोजगार का सृजन हुआ, और न ही अर्थ का सृजन हो पाया। वर्ष 1991 आते-आते तो भारत की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई। किन्तु उसके उपरांत भी आर्थिक विकास की जिन नीतियों को हमने अपनाया, उससे कुछ मात्रा में अर्थ का सृजन तो हुआ किंतु पूर्ण रोजगार सृजन इसमें भी नहीं हो पाया।

अतः अब प्रथम महत्वपूर्ण बड़ी बात यह है कि- हमें अपनी आर्थिक नीतियों की गहनता से समीक्षा करनी होगी और भविष्य का निर्धारण करना होगा। एक बड़ा दृष्टिकोण विकसित करना होगा कि हम पुनः विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हो सकते हैं, और बड़ा अर्थ संचय करना- यह हमारी परंपरा, हमारे दर्शन के अनुरूप ही है।

जब हम इसका विचार करते हैं तो हमें न केवल अर्थ सृजन के पारंपरिक तीन क्षेत्र – मैन्युफैक्चरिंग, कृषि और सेवा को ही देखना होगा, बल्कि नए-नए क्षेत्र और नई दिशाओं में भी विचार करना आवश्यक होगा।
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