Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् वीरांगना मुला गाभरू-3
श्रुतम्

वीरांगना मुला गाभरू-3

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-27

जिसने सन् 1533 ई में दो मुस्लिम सेनापतियों को मार गिराया था…

तुरबक ख़ान की सेना के साथ घमासान युद्ध में मुला गाभरू ने मुस्लिम सेना में मानो कोहराम मचा दिया। उनको पराक्रम पूर्वक लड़ते देख अहोम सैनिकों का मनोबल दोगुना हो गया, और अपने प्राणों की परवाह न करते हुए वो तुरबक खान की फौज पर टूट पड़े।
मुस्लिम सैनिक मुला गाभरू को देखकर भागने लगे तो तुरबक खान ने अपने दो सिपहसालार रणभूमि में उस तरफ रवाना किए। ये दोनों तुरबक खान के भरोसेमंद और बहादुर योद्धा थे। दोनों मुला गाभरू के सामने पहुँचे और यह देखकर दंग रह गए कि एक स्त्री ने उनकी फौज में भारी कोहराम मचा रखा है। दोनों तुरंत उस पर टूट पड़े। मुला गाभरू घबराई नहीं और दोनों से मुकाबला करने लगीं। वह दोनों के वार से अपनी रक्षा भी कर रही थी और मौका देख कर उन पर वार भी कर रही थी।
उधर तुरबक खान भी अपने सिपाहियों के साथ मुला गाभरू की ओर ही आ गया। वह यह देखकर हतप्रभ रह गया कि उसके दो सिपहसालार एक स्त्री के साथ जूझ रहे हैं और तभी मुला गाभरू ने सही मौका जान कर उनमें से एक को धराशाई कर दिया। दूसरे का मनोबल यह देखकर जाता रहा और वह भी मुला के हाथों मारा गया।

तुरबक ने तुरंत अपने सिपाहियों को मुला को घेरकर मारने का आदेश दे दिया। मुला गाभरू चारों ओर से मुस्लिम सैनिकों से घिरी हुई थीं, मगर बहादुरी से उनका सामना कर रही थीं परन्तु एक अकेली वे कब तक खुद को बचा पाती। थोड़ी देर में आखिर वे गिर पड़ीं और वीरगति को प्राप्त हुईं।
उनकी मृत्यु के साथ ही अहोम सेना पीछे हट गई और यह युद्ध भी बिना किसी निर्णय के समाप्त हो गया।
युद्ध में मुला गाभरू की वीरता और उनके बलिदान ने अहोम सेना का मनोबल बहुत बढ़ा दिया और उसके बाद अहोम सेना ने उनसे प्रेरणा लेते हुए मुस्लिम आक्रमणकारियों को अपने क्षेत्र से बाहर खदेड़ दिया।

महान वीरांगना मुला गाभरू भारत की संतानों को सदैव प्रेरणा देती रहें। उन्हें कोटि कोटि नमन्। जय हिंद।

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