अद्भुत योद्धा हरिसिंह नलवा
भारत पर विदेशी आक्रमणकारियों की मार सर्वप्रथम सिन्ध और पंजाब को ही झेलनी पड़ी। 1802 में रणजीत सिंह विधिवत महाराजा बन गये। 40
भारत पर विदेशी आक्रमणकारियों की मार सर्वप्रथम सिन्ध और पंजाब को ही झेलनी पड़ी। 1802 में रणजीत सिंह विधिवत महाराजा बन गये। 40
सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 14 मेघालय के राजा जो सन् 1829 से सन् 1833 तक अंग्रेजों
टी. के. माधवन का जन्म मध्य त्रावनकोर (कार्थिकापल्ली, ज़िला अलापुझा, केरल) में 2 सितंबर 1885 ई. में हुआ था। उनके पिता केसवन चन्नर
मनीभाई देसाई का जन्म 27 अप्रैल 1920 को सूरत, गुजरात के गाँव कोस्मादा में हुआ था। उनकी माँ रानी बहन देसाई तथा पिता
1857 के स्वाधीनता संग्राम में सफलता के बाद अंग्रेजों ने ऐसे क्षेत्रों को भी अपने अधीन करने का प्रयास किया, जो उनके कब्जे
सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 14 मेघालय के राजा जो सन् 1829 से सन् 1833 तक अंग्रेजों
-पूरे राजस्थान से एक लाख से अधिक आदिवासी बंधु होंगे एकत्र -उदयपुर की चारों दिशाओं से निकलेगी रैली -एक ही नारा होगा बुलंद,
भारत माता की जय और वन्दे मातरम् तो प्रायः सब लोग बोलते हैं; पर भारतभूमि की गोद में जो हजारों तीर्थ, धाम, पर्यटन
आर्य समाज द्वारा संचालित डी.ए.वी. विद्यालयों की स्थापना में महात्मा हंसराज और पंडित गुरुदत्त विद्यार्थी का विशेष योगदान रहा है। गुरुदत्त जी का
सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 13 प्रजा मंडल के कुछ लोगों ने स्वयं को नाव से जुड़ी