बाबा हरदेव सिंह जी “23 फरवरी /जन्मतिथि”
बाबा हरदेव सिंह जी का जन्म 23 फरवरी 1954 को दिल्ली के एक सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता गुरबचन सिंह एक सतगुरु थे। उनकी माँ का नाम कुलवंत कौर है। बाबा हरदेव सिंह के पिता का निरंकारी समुदाय (संगठन) का तीसरा गुरु होने के कारण उनका बचपन आध्यात्मिकता में बिता, जिसका उनके मन और विचार बहुत प्रभाव पड़ा।
उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा घर पर हुई और आगे की पढ़ाई के लिए उनका एडमिशन रोसरी पब्लिक स्कूल, दिल्ली में कर दी गई। पर 1963 में इनकी स्कूली शिक्षा यदाविन्द्र पब्लिक स्कूल, पटियाला से पूरी हुई। लेकिन उन्होंने अपनी कॉलेज की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी से की।
1971 में अपने पिता की तरह उन्होंने निरंकारी सेवा दल को ज्वाइन कर ली और लोगों की निश्वार्थ सेवा करने लगे। 1980 में उनके पिता की हत्या कर दी गई। जिसके कारण संत निरंकारी मिशन के प्रमुख का पद खाली हो गया। फिर सभी के सर्वसम्मति से बाबा हरदेव सिंह को इस मिशन का प्रमुख बनाया गया। इस तरह वे निरंकारी समुदाय के अगले यानि चौथे सतगुरु हुए।संत निरंकारी मिशन 1929 में स्थापित किया गया था, बाबा बूटा सिंह द्वारा जो पहले निरंकारी संप्रदाय के थे। उनके उत्तराधिकारी बाबा अवतार सिंह थे। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, पश्चिमी पंजाब से दिल्ली में स्थानांतरित होने के बाद मिशन फला-फूला ।
बाबा हरदेव ने नई दिल्ली में संत निरंकारी सरोवर परिसर में निरंकारी संग्रहालय की स्थापना की।
बाबा हरदेव के पूर्वज लाख कोशिशो के बावजूद इस मिशन को भारत के बाहर ना फैला सके। पर बाबा हरदेव के प्रभाव से यह संगठन दिन दुगुनी और रात चौगुनी फैलती गई। यहीं कारण है कि आज बाबा हरदेव के अनुयायी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि बड़ी संख्या में विदेशों में भी है। 2016 तक, पूरे विश्व में संगठन के 2000 केंद्र और लाखों अनुयायी हैं।
एक ऐसे संत की जिसने लोगों की निश्वार्थ सेवा करके अपने निरंकारी संगठन की पोपुलिरिटी को भारत की सीमाओं को तोड़कर विदेशों में पहुंचाया। विदेश में उनके सबसे ज्यादा फोलोवर्स कनाडा देश में है। पर 13 मई 2016 को उसी देश में एक कार एक्सिडेंट में उनकी असामयिक मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार 18 मई 2016 को निगमबोध घाट दिल्ली श्मशान घाट पर किया गया।