सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 13
मात्र 12 वर्ष की आयु में देश के लिए शहीद हुए…
बाजी राउत उड़ीसा के एक नाविक थे। पक्के देशभक्त, निडर और बहादुर बाजी राउत जब मात्र 12 वर्ष के थे, तब अंग्रेज सिपाहियों ने निर्ममता पूर्वक उनकी हत्या कर दी।
बाजी राउत अंग्रेजों के अन्याय, अत्याचार व कुकृत्यों कारण उनसे बहुत घृणा करते थे। क्योंकि अंग्रेजों का नानाविध अत्याचार उन्होंने बहुत समीप से देखा था…।
जब अंग्रेज पुलिस ने उनकी नाव में बैठकर ढ़ेंकानाल (उड़िसा) की ‘ब्राह्मणी नदी’ पार जाना चाहा तो बाजी राउत ने स्पष्ट मना कर दिया। अंग्रेजों ने उन्हें डराया धमकाया, पर वे तनिक भी नहीं झुके। इस पर उनके साथ मारपीट की गई; वे फिर भी नहीं झुके तब कायर अंग्रेजों ने 12 वर्ष के बालक बाजी राऊत की क्रूरतापूर्वक हत्या कर दी।
यह बड़ा दुर्भाग्य है कि उड़ीसा के चंद लोगों को छोड़कर इस प्रखर देशभक्त बालक बाजी राउत के विषय में बहुत कम को ही जानकारी है।