Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog समाचार अन्तरिक्ष की ऊचाईयाँ हो या सागर की गहराईया हो, सभी क्षेत्रो में महिलाओ ने अपनी योग्यता के बलबुते पर लक्ष्य प्राप्त किया- जिला न्यायाधीश संगीता शर्मा
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अन्तरिक्ष की ऊचाईयाँ हो या सागर की गहराईया हो, सभी क्षेत्रो में महिलाओ ने अपनी योग्यता के बलबुते पर लक्ष्य प्राप्त किया- जिला न्यायाधीश संगीता शर्मा

अन्तरिक्ष की ऊचाईयाँ हो या सागर की गहराईया हो, सभी क्षेत्रो में महिलाओ ने अपनी योग्यता के बलबुते पर लक्ष्य प्राप्त किया- जिला न्यायाधीश संगीता शर्मा

अधिवक्ता परिषद राजस्थान, चित्तौड़ प्रान्त की अजयमेरु इकाई द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पूर्व संध्या पर गुरूवार शाम को जिला न्यायालय अजमेर परिसर में “लैंगिक समानता मानवीयता” के विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

जिसमें मुख्य अतिथि जिला एवं सैशन न्यायाधीश श्रीमती संगीता शर्मा ने महिलाओं के अधिकारो की सुरक्षा हेतु विधायिका द्वारा बनाये गए कानूनों तथा महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधो पर विचार प्रकट किये तथा कहा कि संस्कार एवं नैतिकता की शिक्षा परिवार एवं समाज द्वारा ही दी जा सकती हैं। संस्कार बाजारों से नहीं खरीदे जा सकते, इसके लिए आवश्यक है कि महिलाएं भारतीय संस्कृति का पथ प्रदर्शन करे। मुख्य अतिथि शर्मा ने कहा कि संस्कारों से तथा सोच एवं मानसिकता में बदलाव लाकर ही अपराधों कमी लायी जा सकती हैं। समय, काल एवं परिस्थितियों के अनुसार कुछ कुरितियां समाज में व्याप्त थी, जो आज समाप्ति की ओर हैं।

उन्होनें कहा कि कानून के साथ व्यक्तियों की मानसिकता में सकारात्मक बदलाव महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराध को समाप्त करने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। कानून में किसी भी रूप में महिलाओं के अधिकारो में भेद नहीं है, लेकिन महत्वपूर्ण परिवर्तन समाज व परिवार से अवसर प्राप्त होने पर ही संभव हैं। महिलाऐं सभी महत्वपूर्ण पदों राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, न्यायाधीश, राज्यपाल आदि पदों पर आसीन रही तथा अन्तरिक्ष की ऊचाईयाँ हो या सागर की गहराईया हो सभी क्षेत्रो में महिलाओ ने अपनी योग्यता के बलबुते पर लक्ष्य प्राप्त किया।
उन्होने कहा कि हमारी सोच व मानसिकता बदलती है तो परिदृश्य भी बदल जाता हैं। उन्होनें अधिवक्ता परिषद द्वारा महिला दिवस पर कार्यक्रम आयोजित करने पर खुशी व्यक्त की।

कार्यक्रम में मुख्य वक्ता डॉ रेखा यादव ने कहा कि विधि एवं दर्शन में सामान्यतः मन व इच्छाओं को जानने की शिक्षा दी जाती हैं। लिंग भेद के आधार पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर स्त्री एवं पुरूष एक दूसरे का पूरक बन बच्चों के लालन-पालन से लेकर उनमें संस्कारों के बीज की उत्पत्ति करे। मुख्य वक्ता ने कहा कि महिला आरक्षण का अधिकार विशेषाधिकार नहीं बनना चाहिए, प्रत्येक व्यक्ति को मानवता के नाते आदर-सत्कार मिलना चाहिए तथा सशक्त समाज में महिलाओं के महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार व्यक्त किये।

कार्यक्रम में विधि छात्रा माया जाट “मैं खुद में पुरी हूँ” तथा अधिवक्ता महिना शर्मा ने “सुनो द्रोपदी शस्त्र उठा लो” विषय पर कविता पाठ किया।

कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ न्यायिक अधिकारी जिला न्यायाधीश श्रीमती संगीता शर्मा, पारिवारिक न्यायालय की न्यायाधीश श्रीमती सीमा जुनेजा, वरिष्ठ महिला अभियोजन अधिकारी श्रीमती राजेश वर्मा, श्रीमती दर्शना सारस्वत, वरिष्ठ महिला न्यायिक कर्मचारी श्रीमती उर्मिला शर्मा, रीटा मिश्रा, बार कार्यकारिणी सदस्या बीना सुकरिया का अधिवक्ता परिषद् अजमेर की इकाई की उपाध्यक्ष श्रीमती सविता चौहान, मंत्री कविता शर्मा, आमत्रित सदस्या श्रीमती संतोष काकानी ने शॉल ओढ़ाकर व स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया।

कार्यक्रम में अजमेर जिला न्यायालय के सभी अधिवक्ता, जिला बार एसोशिएशन के पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्य, न्यायिक अधिकारी व कर्मचारियो सहित अधिवक्ता परिषद के पदाधिकारी व कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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