1950 में देश भर में भारतीय संविधान लागू होने के साथ ही आरक्षण लागू हो गया, लेकिन अनुच्छेद 35A व 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर के दलितो को यह लाभ नहीं मिल पाया।
20 वर्ष तक विभिन्न प्रयास करने के बाद भी जम्मू-कश्मीर सरकार ने आरक्षण नहीं दिया, तो भगत अमरनाथ जी ने 1970 में आमरण अनशन शुरू कर दिया । गुलाम मोहम्मद सादिक की राज्य सरकार ने दलित नेता भगत जी की सुध नहीं ली ।
अन्न-जल त्यागने से 10वे दिन भगत अमरनाथ जी ने अपने प्राण त्याग दिये। देशभर में आक्रोश छा गया। तब जाकर दलितो के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने आरक्षण का प्रावधान किया।
जम्मू-कश्मीर का दलित समुदाय हर 2 जुन को उन्हे बलिदान दिवस पर स्मरण कर श्रद्धासुमन अर्पित करता है।
बसपा सांसद राजाराम, जो कि पार्टी के जम्मू-कश्मीर राज्य के प्रभारी है, ने सितंबर 2020 में राज्यसभा में मुद्दा उठाते हुए कहा कि वहां अनुसूचित जाति को 8% ही आरक्षण है, जो कि जनसंख्या 17% से आधा ही है।
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