विकसित भारत 2047 की संकल्पना-23
जनसंख्या लाभांशः- स्वास्थ्य -6
शिक्षा क्षेत्र में भी विगत 75 वर्षों में भारत ने बहुत अच्छी प्रगति की है। उदाहरण के लिए वर्ष 1951 में हमारी साक्षरता दर, जो केवल 22-23 प्रतिशत के आसपास थी, वह वर्तमान में बढ़कर 91 प्रतिशत हो गयी है। इसी प्रकार से भारत में विश्वविद्यालयों की संख्या वर्ष 1951 में 100 से कम थी, जो अब बढ़कर 1100 से अधिक हो गई है। यही नहीं उच्च शिक्षा में प्रवेश का अनुपात भी 28 प्रतिशत तक हो गया है।
यद्यपि भारत ने नई शिक्षा नीति 2020 को लागू कर शिक्षा क्षेत्र में एक बहुत बड़ा परिवर्तन किया है और यह परिवर्तन सार्थक दिशा में आगे बढ़ भी रहा है, किंतु इसके परिणाम आने में 15-20 वर्ष लगेंगे। इसमें कौशल विकास और वोकेशनल ट्रेनिंग को कक्षा 6 और 9 से ही प्रारंभ कर दिया गया है, और विभिन्न प्रकार के अंतर विषय को स्वीकृत बनाया गया है।
यद्यपि वैश्विक अनुभव और भारत की वास्तविकता को ध्यान में रखकर यह नई शिक्षा नीति बनी है, तथापि विशेषकर उच्च शिक्षा व शोध क्षेत्र में अत्यधिक प्रयत्न करने की आवश्यकता है।
इसके अतिरिक्त भी भारत के नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर में बहुत बड़ा अंतर है। हमारे ग्रामीण विद्यालय, महाविद्यालयों का ढांचा स्तर बहुत सामान्य है। इस क्षेत्र में सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक संगठनों और व्यक्तियों को निश्चय ही आगे आकर अपेक्षित सहयोग करना चाहिए। यह भारत की पुरातन परंपरा भी रही है।
जहां तक उच्च शिक्षा का प्रश्न है तो पहले 100 वैश्विक संस्थानों में भारत का कोई भी शैक्षिक संस्थान नहीं है, विश्वविद्यालय नहीं है और अगले 500 में भी केवल 20 ही शैक्षिक संस्थान हैं। अतः हमें अपने उच्च शिक्षा संस्थानों और शोध संस्थानों पर अत्यधिक बल देना होगा।