Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-2
श्रुतम्

भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-2

हत्याओं, नरसंहारों, लूट-पाटों, एकेश्वरवाद के साथ-साथ वामपंथ की मार के बीच एक सहस्राब्दी गुजर गई; परन्तु, भारत का बहुलतावादी समाज अक्षुण्य रहा। वास्तव में, बहुलतावाद अधिक चुनौतीपूर्ण समय में और अधिक बलवान हुआ। बहुलतावाद एक शांतिपूर्ण मूल संस्कृति पर अब्राहमवादी मजहब के अनुयाइयों की तलवारों और तोपों की मार के बीच भी पूर्ण शक्ति से डटा रहा।

पंजाब में पवित्र पुज्य गुरुओं और खालसा के उदय ने एक प्रतिरोधक का कार्य किया और मुस्लिम आक्रांताओं के हाथों देश की मूल संस्कृति को नष्ट होने के अवश्यंभावी खतरे से बचा लिया।

दूसरी ओर जाट, मराठा, अहोम और अन्य युद्ध में पारंगत जातियों के शौर्य ने, कुछ समय के लिये ही सही, अब्राहमवादी शासकों की सत्ता को उखाड़ फेंका।

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