Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-32
श्रुतम्

भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-32

विध्वंसक चौकड़ी के निशाने पर आदिवासी (वनवासी)-15

असम

सद्भावना मिशन (Goodwill Mission) 2006 ने अपने महत्वपूर्ण निष्कर्षों को एक ज्ञापन के तौर पर असम के राज्यपाल को सौंपा। रिपोर्ट के कुछ निष्कर्ष इस प्रकार है:–

  1. 26 सितंबर, 2005 के घटनाक्रम की जो कड़ी है, उसके विषय में प्रतीत होता है, कि किसी संगठित निकाय ने एक षड्यंत्र के तहत एक समूह को दूसरे के विरुद्ध लड़ाया। हर मौके पर समुदाय विशेष के शिकारों को बहुत सावधानी से चुना गया। जिस से ऐसा लगे कि एक ओर कार्बी वनवासियों के साथ नस्ली हिंसा हो रही है और दूसरी ओर दिमासा जनजाति के साथ हिंसा हो रही है। (pg 25)
  2. 26 सितंबर से 28 सितंबर, 2005 के बीच के घटनाक्रम की कार्यप्रणाली इस कदर जघन्य है, कि न तो कार्बी ऐसा कर सकते हैं और न ही दिमासा।
    अलबत्ता NSCN (IM) [The National Socialist Council of Nagaland-Isak-Muivah)] के पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए उसे इस प्रकार की हिंसा के लिए सक्षम माना जा सकता है।
    सबसे बढ़ कर यह, कि प्राचीन समय से ही दोनों जनजातियाँ पूर्ण सौहार्द के साथ रहती आई हैं और दोनों के बीच मजबूत वैवाहिक संबंध हैं। संदेह की सुई इसलिए भी NSCN (IM) पर जाती है, क्योंकि ये अलगाववादी संगठन पहले भी कार्बी और दिमासा आदिवासियों से प्रस्तावित नागालिम के समर्थन की अपील कर चुका है।
    प्रस्तावित नागालिम में दिमासा और कार्बी वनवासी बहुल क्षेत्र भी शामिल हैं, जिसका ये दोनों ही जनजाति पुरजोर विरोध करती हैं। NSCN (IM) दोनों ही जनजातियों के सामने ये दावा दोहराता रहा है; जिसका हमेशा कड़ा प्रतिरोध हुआ।
    निरंतर आगामी कड़ी …बिन्दु सं.3 से।
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