Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-37
श्रुतम्

भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-37

विध्वंसक चौकड़ी के निशाने पर आदिवासी (वनवासी)-20

झारखंड

पत्थलगढ़ी की परंपरा झारखंड के वनवासियों के एक वर्ग में बहुत प्राचीन काल से चली आ रही है। इसमें वे किसी समय की बड़ी घटना की स्मृति के तौर पर एक बड़ी शिला गाड़ देते हैं।
नक्सलियों ने चतुराई से इस परंपरा को इस प्रकार का विकृत रूप दे डाला, कि ये स्थानीय वनवासियों और प्रशासन के बीच एक बड़े टकराव का मुद्दा बन गया।
नक्सलियों ने गुप्त रूप से धर्म परिवर्तित ईसाईयों के साथ मिलकर पत्थलगढ़ी की परंपरा की आड़ में इस प्रकार का षड्यंत्र रचा गया, कि झारखंड के 13 जिलों में कानून- व्यवस्था की स्थिति गंभीर हो गई।

नक्सलियों ने पीईएसए पंचायत (एक्सटेंशन टू शेड्यूल्ड एरिया) एक्ट और संविधान के पाँचवें अनुच्छेद का लाभ इस तरह उठाया, कि वनवासियों को बहका कर उन्हें फिर से पत्थलगढ़ी आरम्भ करने और अपने गाँव में बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने तक ले आए।
बाहरी लोगों, विशेष तौर पर सुरक्षा बलों के प्रवेश पर पूर्ण पाबंदी के चलते सुरक्षा बलों और वनवासियों के बीच टकराव की जमीन तैयार हो गई।

सुरक्षा बल इन क्षेत्रों में नक्सल विरोधी और मादक द्रव्यों की तस्करी के विरुद्ध अभियान चलाते हैं।
गुप्त रूप से ईसाई धर्मांतरितों की मदद से रचे गए इस टकराव ने विध्वंसक चौकड़ी में शामिल सभी पक्षों को लाभ पहुँचाया। जितना बड़ा टकराव होगा, फुसला कर धर्मांतरण का धंधा उतना बेहतर चलेगा। साथ ही इस से नक्सलियों का भारत विरोधी एजेंडा तो पूरा हो ही रहा है।

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