विध्वंसक चौकड़ी के निशाने पर आदिवासी (वनवासी)-21
झारखंड
पॉपुलर फ्रंट आफ इंडिया (PFI) झारखंड के प्रमुख जेहादी चेहरों में से एक है। उसने भी इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया। वह अक्सर अपने राजनीतिक लाभ और अस्वाभाविक गठबंधनों को तैयार करने के लिए इस प्रकार के खतरनाक अवसरों की फिराक में रहता है।
वी.टी राजशेखर शेट्टी ने जो रणनीति बताई थी (जिसकी हम पूर्व में विस्तार से चर्चा कर चुके हैं।) कि भारत को बांटने के लिए दरारें उत्पन्न करो; ये विध्वंसक चौकड़ी पूरे भारत में उसे ही प्रयोग कर रही है। दक्षिण भारत के वनवासी भी इन्हीं तमाम मुद्दों का सामना कर रहे हैं। उन्हें नस्लवाद और राष्ट्रीयता की झूठी धारणाओं के नाम पर छला गया है।
इस विध्वंसक चौकड़ी का कुल मिलाकर षड्यंत्र यही रहा है, कि अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति के लिए वे भारत के वनवासियों को छलें; उनका दुरुपयोग करें। वे चाहते हैं, कि वनवासियों को अराजकता और अंधकार की अंधी सुरंग में धकेल दिया जाए। अगर ये अपने इरादों में सफल हो गए, तो ये विध्वंसक चौकड़ी हर सूरत में जीतेगी, और हमारे भोले-भाले वनवासी हर हाल में हारेंगे।
“अब यह देशभक्त राष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी बनती है, कि वे अपने तुच्छ स्वार्थ, मतभेद त्यागकर सुनियोजित ढंग से हाथ मिलाएँ, और समेकित प्रयासों से अपने वनवासी बन्धुओं को अस्तित्व के इस अवश्यंभावी खतरे से बाहर निकालें। आज की हमारी उदासीनता, तटस्थता सनातन समाज के लिए बड़ी हानिकारक सिद्ध होगी।”