Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-47
श्रुतम्

भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-47

जिहादी रक्तबीज, हर बूँद से नया रूप-9

एंग्लो-मुस्लिम गठजोड़
(Anglo-Muslim Alliance)

अक्टूबर, 1906 की शिमला बैठक में मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचक मंडल की माँग की गई थी। इसके ठीक 90 दिन बाद दिसंबर, 1906 में ढाका में नवाब सलीमुल्लाह के संरक्षण में विशुद्ध रूप से मुसलमानों की अलग पार्टी मुस्लिम लीग की स्थापना हुई थी। ये ऐसे कुछ ‘अंग्रेजों और जिहादियों के शातिर गठजोड़’ की पूर्व निर्धारित योजना के तहत हुआ था।

1906 में मुस्लिम लीग की बैठक में पारित हुए प्रस्ताव के उद्धरण प्रस्तुत किए जो कि इस अंग्रेज-जिहादी गठजोड़ की पोल खोलते हैं। पहला प्रस्ताव ढाका के नवाब सलीमुल्लाह की ओर प्रस्तुत किया गया; जिसके अनुसार मुस्लिम लीग के उद्देश्य इस प्रकार होंगे–
“भारत के मुसलमानों के बीच ब्रिटिश सरकार के प्रति निष्ठा को प्रोत्साहित किया जाएगा। यदि सरकार के किसी कदम को लेकर उसकी मंशा पर कोई संदेह उत्पन्न होता है; तो उसे दूर किया जाएगा…।”

जिहादियों के इस दोगले व्यवहार के चलते ब्रिटिश राज को स्वतंत्रता सेनानियों के साथ नस्लभेद और धमकाने की छूट मिल गई, और इसके बाद का घटनाक्रम भारत को विभाजन की ओर ले गया।
जिहादी तत्वों की इस भूमिका का बिना पूर्वाग्रह अध्ययन करने वाले विद्वानों ने विभाजन के काल के साहित्य में इसका विस्तार से चित्रण किया है।

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