जिहादी रक्तबीज, हर बूँद से नया रूप-10
एंग्लो-मुस्लिम गठजोड़
(Anglo-Muslim Alliance)
मोपला का कुख्यात नरसंहार, डायरेक्ट एक्शन डे, बंगाल में हिंदुओं का नरसंहार
आदि सभी इसी सुनियोजित कार्ययोजना का हिस्सा थे।
अलग-अलग सी नजर आने वाली इन घटनाओं ने पूरी बारीकी से देश का जनसांख्यिकी ढांचा बदल डाला था। इसका शिकार भारत की मूल सनातन संस्कृति हुई थी। जो असल में जहरीली कट्टरपंथी सोच और इस्लाम में शामिल होने की जिहादियों की जिद के कारण खतरे में आ गई थी।
पाकिस्तान (पाक लोगों की सरजमीं) स्वयं में ही एक नस्लभेदी विचार है। यह मात्र एक समुदाय विशेष की पवित्रता में विश्वास करता है। इसने भारत की मूल संस्कृति के बहुलतावादी सामाजिक ढांचे के विध्वंस का निरंतर प्रयास किया है।
पाकिस्तान बन जाने के उपरान्त भी स्थानीय संस्कृति, जिसे ये कुफ्र मानते हैं, उसका नामो-निशान मिटा देने का इनका सपना नहीं बदला है। पाकिस्तान के गठन के साथ ही देश के शेष बचे हिस्से पर इस्लामिक राज स्थापित करने का इनका इरादा और अधिक मजबूत हो गया है।
भारत के लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य में रहते हुए भी इन जिहादी तत्वों ने अल्पसंख्यकवाद खड़ा कर डाला और हर मौके पर अपना एजेंडा पूरा करने के लिए इसका प्रयोग किया है।