‘सु-दर्शन’ के परिचायक थे दर्शन लाल जी जैन ” पुण्यतिथि8 फरवरी 2021″
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हरियाणा के पूर्व प्रान्त संघचालक हम सबके मार्गदर्शक और प्रेरणा स्रोत दर्शन लाल जी के जीवन में एक आदर्श स्वयंसेवक, आदर्श प्रचारक, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सेवी, कुशल संगठक और एक सैद्धांतिक योद्धा के एक साथ दर्शन हो जाते थे।
हरियाणा के औद्योगिक नगर जगाधरी में 12 दिसंबर 1927 को जन्म लेने वाले दर्शन लाल जी बाल्यकाल से ही देशभक्ति एवं समाजसेवा के संस्कारों से ओत-प्रोत थे। 1942 के अंग्रेजों भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लेकर उन्होंने अपने जीवन के उद्देश्य का बिगुल बजा दिया था। 1944 में संघ के स्वयंसेवक बने और अपनी शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात उन्होंने पूर्णकालिक संघ प्रचारक के रूप में अपना जीवन समर्पित कर दिया। कुछ समय तक एक सफल प्रचारक के रूप में हिन्दू संगठन में भागीदारी करने के पश्चात वो सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हो गए।
दर्शन लाल जी को राजनीति में तनिक भी रूचि नहीं थी। वे राजनीतिक महत्वकांक्षा से कोसों दूर रहकर सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, एवं साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से ही अपने राष्ट्र की सेवा करते रहे। यही वजह है 1954 में तत्कालीन जनसंघ द्वारा एमएलसी बनने का निमंत्रण दिया गया उन्होंने यह कहकर अस्वीकार कर दिया की मेरा क्षेत्र समाज सेवा का है।
1948 में जब संघ पर प्रतिबन्ध लगा था वे प्रतिकार करते हुए जेल के कष्टों को झेलते रहे। इसी प्रकार 1975 के आपातकाल के समय में भी वे कारावास में रहे परन्तु अपने ध्येय से विचलित नहीं हुए। अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा उनको एक प्रान्त के राज्यपाल बनाने का निमंत्रण दिया गया, लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया और कहा कि संघ के कार्यकर्ता के रूप में ही देश एवं समाज की सेवा करनी है।दिल्ली से छपने वाले स्टेटसमैन और चंडीगढ़ से छपने वाले ट्रिब्यून सामाचार पत्रों में जब संघ को महात्मा गाँधी की हत्या के आरोप में घेरा तब दर्शन लाल जी ने कानून के दायरे में रहकर इन पत्रों के संपादकों और पत्रकारों को चुनौती दे दी। फलस्वरूप इस तरह के सपादकों, लेखकों, और आरोपियों को लिखित क्षमा मांगनी पड़ी।
दर्शन लाल जी जैन अनेक सामाजिक संस्थाओं का ना केवल संरक्षण एवं मार्गदर्शन करते थे अपितु इनके लिए यथासंभव आर्थिक सहायता भी करते रहते थे। वनवासी कल्याण आश्रम, भारत विकास परिषद्, अधिवक्ता परिषद् इत्यादि संस्थाओं की वर्षों पर्यन्त सेवा करते रहे इनके संरक्षक के नाते, इसी तरह सेवा भारती, विद्या भारती, हिन्दू शिक्षा समिति जैसी शैक्षणिक संस्थाओं को भी दर्शन लाल जी का संरक्षण प्राप्त था।
दर्शन लाल जी जैन द्वारा संपन्न सभी प्रकार के सामजिक कार्यों में सरस्वती शोध संस्थान के कार्य को वास्तव में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा। सनातन काल में भारत भूमि पर अवतरित हुई पवित्र सरस्वती नदी कालांतर में लुप्त हो गयी। इस भूमिगत पवित्र प्रवाह को ढूंढने के लिए दर्शन लाल जी और उनके सहयोगियों ने वर्षों प्रयंत्र निरंतर परिश्रम किया और अंत में सफलता प्राप्त की।
दर्शन लाल जी की समाज सेवा एवं उनके राष्ट्र समर्पित जीवन के लिए उन्हें 2019 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वे किसी भी प्रशंसा और सम्मान को स्वीकार नहीं करना चाहते थे लेकिन भारत सरकार के आग्रह को उन्होंने ठुकराया नहीं और प्रेमपूर्वक इस पुरस्कार को स्वीकार कर लिया।
दर्शन लाल जी एक कर्मयोगी की तरह समाजसेवा और समाज के विभिन्न कार्यों में व्यस्त रहे। जीवन के अंतिम दिनों में भी राष्ट्रवादी लेखकों एवं पत्रकारों का उत्साहवर्धन करते रहे और क्रांतिकारियों के जीवन से सम्बंधित अनेक पुस्तकें उन्होंने स्वयं लिखीं और लिखवाईं। जिसने भी उनसे मदद मांगी वो कभी खाली हाथ नहीं लौटा।
दर्शन लाल जी सोमवार 2021 दोपहर 12 बजे बैकुंठ धाम के लिए प्रस्थान कर गए l
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