डॉ हेडगेवार, संघ और स्वतंत्रता संग्राम

१.बाल्यकाल में ही थाम ली स्वतंत्रता की मशाल

स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराय बलिराम हेडगेवार जन्मजात स्वतंत्रता सेनानी थे। ‘‘हिन्दवी स्वराज” के संस्थापक छत्रपति शिवाजी, खालसा पंथ का सृजन करने वाले दशमेशपिता श्रीगुरु गोविंदसिंह और आर्यसमाज के संगठक स्वामी दयानन्द की भांति डॉ. हेडगेवार ने बाल्यकाल में ही संघ जैसे शक्तिशाली संगठन की कल्पना कर ली थी।

भारत की सनातन राष्ट्रीय पहचान हिन्दु चिंतन, भगवा ध्वज, अखंड भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता और स्वतंत्रता संग्राम इत्यादि सब विषय एवं विचार और योजनाएं उनके मस्तिष्क में बाल्यकाल से ही आकार लेने लगी थी।

वंदेमातरम् बाल केशव के जीवन का दीक्षामंत्र बन गया था। बाल केशव प्रारम्भ से ही कुशल संगठक, लोकसंग्रही, निडर एवं साहसी था। उनका जीवन बाल सखाओं के साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में बीता था और यही थी उस महान स्वतंत्रता सेनानी की मजबूत नींव।

वीरव्रती बाल केशव डॉ. हेडगेवार ने विद्यार्थी काल में ही भारत के पतन और परतंत्रता के कारणों की समीक्षा करके देश की स्वाधीनता और राष्ट्र की सर्वांग स्वतंत्रता का, अपना लक्ष्य निधारित कर लिया था। 22 जून 1897 को इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया का 60वां जन्मदिन धूमधाम से मनाया गया ।

विद्यालयों में बच्चों को मिठाइयां बांटी गई बाल केशव ने मिठाई का दोना कूड़ेदान में फेंक दिया ।

अपने मन में विदेशी राजा के प्रति सुलग रही घृणा की आग को यह कहकर बाहर निकाला कि–

”अपने (भोंसलों) हिन्दुओं के राज्य को जीतने वाली रानी विक्टोरिया के जन्मदिन पर संपन्न समारोह का जश्न हम क्यों मनाएं?  मैंने मिठाई के धोने के साथ अंग्रेजी राज्य को भी कूड़े में फेंम दिया है ।”

क्रमशः

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