आध्यात्म श्रुतम्

सबके राम-24 “रामतत्त्व के शक्ति पुंज”

सबके राम-24 “रामतत्त्व के शक्ति पुंज”

रामायण में जब भी स्त्री पात्रों का प्रवेश होता है, कथा में नया मोड़ आ जाता है…।

मंथरा के प्रभाव में कैकयी राम को वनवास भेजती है और राजा बनते-बनते राम वनवासी बन जाते हैं। यही आगे चलकर रावण-वध का कारण बनता है। वाल्मीकि रामायण में मंथरा के चरित्र को एक धूर्त महिला के रूप में चित्रित किया गया है। उसका मानना है कि दशरथ ने कैकयी के साथ अन्याय किया है और कैकयी को अपने तथा भरत के हितों की रक्षा के लिए लड़ना चाहिए। मंथरा की जो छवि बनाई गई है, वह एक चालाक बूढ़ी महिला की है।

इसी तरह शूर्पणखा के आने से सीता के अपहरण की भूमिका बनती है, साथ ही रावण के वध की कहानी प्रारंभ हो जाती है। शूर्पणखा रावण की बहन और शक्तिशाली राक्षसी है। वह राम को बहकाने और सीता को मारने का प्रयास करती है। लेकिन लक्ष्मण उस पर हमला करके उसकी नाक काट देते हैं। वह राम के विरुद्ध राक्षसी सेना और रावण को भड़काती हैं। उसके प्रभाव में सीता हरण के परिणामस्वरूप रावण के अपराधों की जो श्रृंखला शुरू होती है, वह रावण के वध पर ही समाप्त होती है।

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