आशा ही परम सुखम यह विचार ही दुःख का मुख्य कारण है– उत्तम स्वामी
उदयपुर, 29 जून। मानवता के लिए ‘योग’ के साथ आज ‘राष्ट्रयोग’ को प्रखर बनाने का समय है। देश के प्रत्येक व्यक्ति योग के माध्यम से स्वयं के आंतरिक व बाह्य रूप को सशक्त करने के साथ राष्ट्र को भी हर दिशा में शक्ति सम्पन्न बनाने की दिशा में अपनी भूमिका का निर्वहन करें।
यह आह्वान बांसवाड़ा के ईश्वरानंद ब्रह्मचारी उपाख्य उत्तम स्वामी महाराज ने बुधवार को उदयपुर सेक्टर 4 स्थित विद्या निकेतन सभागार में भारतीय संस्कृति अभ्युत्थान न्यास, आरोग्य भारती व एनएमओ की ओर ये चल रहे सप्त दिवसीय योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर के समापन समारोह के अवसर पर उपस्थित समाजजन से किया।

उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक जीवन में प्रत्येक व्यक्ति को आशा बढ़ गई है और यही उसके दुःख का मुख्य कारण है, उन्होंने कहा की विचार प्रत्येक व्यक्ति के मन में आना चाहिए, व्यक्ति के मन में विचार नही आना समाधि की ओर मार्ग प्रशस्त होना है , इसलिए मन का योग जरूरी है, मन को एकाग्र करने की आवश्यकता है , मन एकाग्र करने का एक ही मार्ग है वह है योग | उत्तम स्वामी जी ने कहा की धर्म को सही रूप में अंगीकार करने की आवश्यकता है, कुंडलनी शक्ति को जागृत करना आज की मुख्य आवश्यकता है, कुंडलनी शक्ति को जगाने के लिए कई गुना बल की आवश्यकता होती है और यह बल योग के माध्यम से ही संभव है।
उन्होंने कहा कि भारतीय प्राचीन शास्त्रों में यम, नियम, संयम, प्राणायाम, ध्यान, धारणा, उपासना, समाधि आदि का गूढ़ वर्णन अंकित है। शरीर मुद्रा, शब्द मुद्रा, ज्ञान मुद्रा, अर्थ मुद्रा भी बताई गई हैं। लेकिन, आज के समय में हम शरीर अर्थात् इस मानव जन्म के धर्म के प्रति अज्ञानी हो गए हैं, अर्थ मुद्रा सर्वोपरि हो गई है। उन्होंने कहा कि योग सिर्फ शरीर को स्वस्थ नहीं बनाता, वह मन की गहराइयों को भी शुद्ध और निर्मल बनाता है और जब मनुष्य का मन निर्मल होता है, तब उसके भाव स्वतः शुद्ध हो जाते हैं और वह सात्विकता की राह पर बढ़ते हुए मनुष्य जीवन की सार्थकता को सिद्ध करता है।कार्यक्रम के दौरान उत्तम स्वामी ने पंचतत्व ध्यान योग का अभ्यास सभी उपस्थित जन को करवाया।
समारोह के मुख्य अतिथि अतिरिक्त आयुक्त, आयकर विभाग उदयपुर के चेतराम मीना थे।
इससे पूर्व, कार्यक्रम के आरंभ में योग शिक्षक श्रीवर्द्धन ने योग प्रशिक्षण एवं चिकित्सा शिविर के बारे मे बताया की इस बार इस शिविर में 21 शिक्षकों ने सहभागिता की जिससे हर प्रतिभागी पर विशेष ध्यान दिया गया। श्रीवर्द्धन के निर्देशन में समारोह में सभी योग शिक्षकों ने सूर्य नमस्कार, त्रिकोणासन, पार्श्वकोणासन, जठरपरिवर्तनासन, शीर्षासन, भुजंगासन, बद्धकोणासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, नौकासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तानासन आदि का प्रत्यक्षीकरण किया। सभी योग शिक्षकों का अतिथियों द्वारा अभिनंदन भी किया गया।
न्यास के सचिव पंकज पालीवाल ने न्यास के सेवा कार्यों की जानकारी देते हुए बताया कि शीघ्र ही न्यास की ओर से घुमन्तु समुदाय के बच्चों के लिए छात्रावास भी शुरू किया जा रहा है।
कार्यक्रम में न्यास के अध्यक्ष हेमेन्द्र श्रीमाली, उद्योगपति गोविन्द अग्रवाल आदि उपस्थित थे। शिविर के प्रतिभागियों में से कन्हैया लाल शर्मा, कल्पना पालीवाल एवं अन्य ने योग व मुद्रा चिकित्सा से उन्हें हुए लाभ के अनुभव बताएं।
सात दिवसीय शिविर में शिक्षक के रूप में अपनी सहभागिता देने वाले प्रभात आमेटा, हरिशंकर, उमेश श्रीमाली, भव्या यादव, पुष्पदीप प्रजापत, धारा गुप्ता, तरुणा वैष्णव सहित 21 शिक्षकों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ भारत भूषण ओझा ने किया, सात दिवसीय आरोग्यम शिविर में डॉ. कौशल शर्मा, नरेश यादव, विकास छाजेड़, रविकांत त्रिपाठी, प्रदीप चौबीसा, कपिल चित्तोड़ा, विष्णु मेनारिया आदि ने प्रबंधक के रूप में अपनी सेवाएं दी ।
सादर प्रकाशनार्थ