Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् ककातिया और कपाया नायक-5
श्रुतम्

ककातिया और कपाया नायक-5

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-24

तेलुगु सरदार जिन्होंने वारंगल को दिल्ली सल्तनत के कब्जे से मुक्त कराया…।

कपाया नायक ने वारंगल को मुस्लिम आक्रमणकारियों से स्वतंत्र करा लिया और उसका नाम सुल्तानपुर से एक बार फिर वारंगल कर दिया।

पंट्टा रेड्डी परिवार के एक शिलालेख के अनुसार- ‘इन युद्धों में कपाया नायक को 75 अन्य नायकों का समर्थन प्राप्त था। उनमें से एक थे वेमा रेड्डी जिन्होंने रेड्डी वंश की स्थापना की।’

इस प्रकार कपाया नायक ने वारंगल के क्षेत्र को स्वतंत्र करा कर मुस्लिम आक्रमणकारियों को वहाँ से बाहर खदेड़ दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने तेलंगाना के पूर्वी क्षेत्र के एक बहुत बड़े भाग को भी दिल्ली सल्तनत से छीन लिया। संपूर्ण क्षेत्र में एक बार पुनः हिंदू साम्राज्य कायम हुआ।
कपाया नायक ने अपने आसपास के कई अन्य राज्यों की भी मदद की, ताकि वे मुस्लिम सल्तनत की अधीनता से मुक्त हो सकें।

कपाया नायक ने तेलंगाना पर सन् 1368 तक राज किया और क्षेत्र को राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता दी। उसी समय के एक शिलालेख में कपाया नायक को वैभव और शौर्य में अंतिम ककतिया शासक प्रताप रूद्र के समकक्ष बताया गया है।
सन् 1368 में वेलमा या रेचरला नायक की सेना के साथ भीमावरम में हुए युद्ध में कपाया नायक की मृत्यु हो गई। उनके साथ ही मुसुनूरी नायक वंश का अंत हो गया।
तेलगु सरदार वीर कपाया नायक को हमारा कोटि कोटि नमन्।

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