सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-21
मराठा नौसेनाध्यक्ष जिन्हें युरोपीय नौसैनिक शक्तियां कभी हरा नहीं पाईं…
छत्रपति शिवाजी महाराज को ही भारतीय नौसेना का जनक माना जाता है। उनकी नौसेना में अलग-अलग आकार के लगभग 200 जहाज थे।
उन्होंने दूर-दूर तक के द्वीपों पर अपनी निगरानी चौकियाँ बना रखी थीं, जिससे वे विदेशी जहाजों पर नजर रख सकते थे। अंडमान निकोबार द्वीपों में भी उनकी चौकियाँ थीं।
उनकी नौसेना ने अंग्रेजी, पुर्तगाली और डच जहाजों पर हमले किए और उनमें से कई पर आधिपत्य कर लिया।
मराठा नौसेना बहुत भाग्यशाली थी कि उसे एक के बाद एक निपुण, योग्य और वीर नौसेनाध्यक्ष मिले। इनमें से कुछ नाम थे सिद्धोजी गुर्जर, मैनाक भंडारी, मेंढाजी भाटकर और कान्होजी आंग्रे।
कान्होजी आंग्रे के नेतृत्व में मराठा नौसेना ने लगभग 40 वर्षों तक विदेशी नौसेनाओं को भारतीय समुद्री सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया। यहाँ तक कि विदेशी व्यापारिक जहाज भी आवश्यक कर चुकाने के बाद ही जा पाते थे।
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