सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 17
मात्र 19 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे, जिन्हें सरदार भगत सिंह अपना गुरु मानते थे…।
करतार सिंह सराभा यदि चाहते तो वह भी गिरफ्तारी से बचकर विदेश भाग सकते थे परंतु उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने देश के युवाओं को जगाने के लिए स्वयं फाँसी के फंदे का वरण किया।
अपने बलिदान के बाद वे पूरे पंजाब और देश के दूसरे हिस्सों में अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध भारतीयों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक बन गए। लाखों युवाओं ने उनसे प्रेरणा लेकर अंग्रेजी हुकूमत से लड़ने की ठानी।
सरदार भगत सिंह भी करतार सिंह सराभा से बहुत ज्यादा प्रभावित थे, और उन्हें अपना गुरु मानते थे।
करतार सिंह सराभा और गदर पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं और नेताओं को हमारा कोटि कोटि नमन्। देश सदैव उनका ऋणी रहेगा।