श्रुतम्

महावीरी देवी-3

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा- 29

अपनी 22 महिला साथियों के साथ सन् 1857 में कई ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराया…

देश के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सन् 1857 में भारतीय सिपाहियों के विद्रोह ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बहुत सारे लोगों को अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने की प्रेरणा दी।

उस समय के ऐतिहासिक अभिलेखों में कुछ ऐसी वीरांगना महिलाओं के नाम मिलते हैं, जिन्होंने कई अंग्रेजों को मौत के घाट उतारा था। कुछ नाम हैं इंदर कौर, मान कौर, रहीमी, राज कौर, शोभा देवी, आशा देवी, बख्तावरी, हबीबा, भगवती देवी त्यागी, उमदा इत्यादि । इन सबने आजादी की लड़ाई में भाग लिया और शहीद हो गईं। इनमें से कुछ को अंग्रेजों ने गोली मार दी, जबकि कुछ को फाँसी चढ़ा दिया। इनकी देशभक्ति को नमन्।

इकॉनोमिक एंड पॉलिटिकल वीकली में अपने लेख “दलित ‘वीराँगनाज’ एंड रिइन्वेंशन ऑफ 1857″ में चारू गुप्ता लिखतीं हैं कि- (Charu Gupta mentions in her Article “Dalit Veeranganas & Reinvention of 1857 in Economic & Political Weekly)

“महावीरी देवी और उनकी 22 महिला साथियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध मई, 1857 में विद्रोह कर दिया और अंग्रेज सैनिकों को हताहत करने में सफलता पाई। ये सभी इस विद्रोह में वीरगति को प्राप्त हो गई।”

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