सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा- 29
अपनी 22 महिला साथियों के साथ सन् 1857 में कई ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराया…
महावीरी देवी ने अपनी ओजस्वी वाणी से अपने मुंडभर गाँव की लगभग 22 महिलाओं को अंग्रेजों पर आक्रमण करके उन्हें हानि पहुँचाने के लिए राजी कर लिया था। ये सभी महिलाएँ घरेलू कामकाजी महिलाएँ थीं और अस्त्र-शस्त्र चलाने का इन्हें कोई अनुभव नहीं था।
महावीरी देवी ने इन सबके साथ मिलकर अस्त्र-शस्त्र चलाने का अभ्यास आरम्भ किया और जल्दी ही ये सब लड़ने के लिए तैयार हो गईं। ये सभी निर्भीक र्थी और मातृभूमि के लिए अपनी जान देने से पीछे हटने वाली नहीं थी।
‘म्यूटिनी एट द मार्जिन्स: ‘न्यू पर्सपेक्टिव्स ऑन द इंडियन अपराइजिंग ऑफ 1857’ के संपादक क्रिस्पिन बेट्स के अनुसार:
“महावीरी देवी और उनकी सभी महिला साथी शारीरिक रूप से मजबूत थीं और शस्त्रों से सुसज्जित थीं। ये सभी बहादुरी और बलिदान की भावना से ओतप्रोत थीं और अंग्रेजों के साथ एक हथियारबंद लड़ाई में कूद पड़ने से पहले इन्होंने अपने प्राणों के बारे में नहीं सोचा।”