सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 11
नायकी देवी-3
गुजरात की चालुक्य रानी जिन्होंने मोहम्मद गोरी को सन् 1178 में युद्ध में हराया…
नायकी देवी को अपने गुप्तचरों से अपनी राजधानी की ओर बढ़ती हुई इस विशाल मुस्लिम फौज की सूचना मिल गई थी।
बड़ी बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए उन्होंने तुरंत जालौर के कीर्तिपाल चाहमान, अर्बुद परमार धारवर्ष, नाडोला के चाहमान केल्हणदेव आदि अपने सरदारों और अन्य राजाओं से बात की तथा सबके साथ मिलकर इस मुस्लिम फौज का सामना करने के लिए तैयारी की।
मोहम्मद गोरी ने वर्तमान राजस्थान के सिरोही जिले में क्यादारा में अपना शिविर बनाया, और एक दूत चालुक्य दरबार में भेजा।
मोहम्मद गोरी ने यह संदेश भेजा कि ‘यदि रानी स्वयं राज परिवार की स्त्रियों और अपने पुत्रों के साथ गोरी के समक्ष समर्पण कर दें और अपना खजाना उसे भेंट कर दें तो वह राजधानी अनहिलवाड़ा को नहीं लूटेगा और वापस चला जाएगा।’
इसके प्रत्युत्तर में रानी अपनी सेना लेकर स्वयं मैदान में उतर आयीं। क्यादारा के मैदान में दोनों सेनाएँ एक दूसरे के सामने आ खड़ी हुई। हिंदू सेना में जंगी हाथी, रथ, घुड़सवार और पैदल सैनिक थे।
मोहम्मद गोरी को विजय का पूरा विश्वास था इसलिए उसने सीधा हमला करने का आदेश दिया, परंतु अपनी मातृभूमि और धर्म की रक्षा करने के लिए लड़ रहे हिंदू योद्धाओं ने आक्रमणकारी मुस्लिम फौज की एक न चलने दी।