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परिवार में बच्चों के साथ तर्कपूर्ण संवाद को बढ़ाने की आवश्यकता

परिवार में बच्चों के साथ तर्कपूर्ण संवाद को बढ़ाने की आवश्यकता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बांसवाड़ा के संपर्क विभाग द्वारा नगर के भारतीय विद्या मंदिर सभागार में प्रबुद्ध नागरिक गोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र कार्यकारिणी सदस्य हनुमान सिंह राठौड़ ने “राष्ट्र के समक्ष चुनौतियाँ और हमारी भूमिका” विषय पर ऐतिहासिक तथ्यों, तर्कों के आधार पर 60 मिनिट के अपने प्रभावी उद्बोधन के माध्यम से अपनी बात उपस्थित प्रबुद्ध जनो के सम्मुख रखी।

हनुमान सिंह ने कहा कि किसी भी राष्ट्र के समक्ष दो प्रकार की चुनौतियां हो सकती हैं। पहली बाहरी और दूसरी आंतरिक। आज प्रत्येक राष्ट्र की परिस्थितियां अलग-अलग हो गई हैं। भू राजनैतिक वाद के बाद अब आर्थिकवाद आ गया है। आज अमेरिका जैसे विकसित राष्ट्र अस्त्र-शस्त्र बेचने का अड्डा बन गए हैं। आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले और उन्हे हथियार बैचने वाले ये विकसित राष्ट्र हथियार बेच कर अपना लिविंग स्टेण्डर्ड बनाए रख रहे है। आर्थिक सुख के लिए विश्व में आतंक परोसने का कुकृत्य कर रहे है।

उन्होने कहा कि जब अंग्रेज पुर्तगाली भारत में आये थे, विश्व की जीडीपी में भारत की अर्थव्यवस्था 23% थी। जब अंग्रेज भारत को छोड़कर चले गए तब विश्व में भारत की अर्थव्यवस्था 3% रह गई। भोगवादी मानसिकता रखने वाली विदेशी शक्तियां कभी भी भारत को विकसित समृद्ध और शक्तिशाली होता नहीं देखना चाहती।

उन्होने कहा कि भारत सनातन संस्कृति परंपराओं के आधार पर समस्या के सामाधन के प्रक्रिया को अपनाने वाला देश है। हमारी तीसरी अर्थव्यवस्था बनने का आधार है- देश की युवा पीढ़ी। इसलिए जनसंख्या में युवाओं का होना अत्यंत आवश्यक है। देश के सम्यक विकास हेतु वहां की कुल आबादी की 75% आबादी कामगार की होनी चाहिए।

मुख्य वक्ता ने कहा कि समाजशास्त्र एवं जनसंख्या शास्त्र में जनसंख्या संतुलन के विषय में स्पष्ट उल्लेख मिलता है। प्रत्येक परिवार में न्यूनतम दो संताने होने पर ही युवा पीढ़ी समाज निर्माण हेतु प्राप्त होगी। परिवार में बच्चों के साथ तर्कपूर्ण संवाद को आज बढ़ाने की आवश्यकता है, आने वाली पीढ़ी के सामने कई प्रकार की चुनोतियाँ है। उन चुनोतियाँ से निपटने के लिये भावी पीढ़ी राष्ट्र, धर्म की बातों को अपने जीवन मे उतारे। आज समाज को विभिन्न प्रकार के षडयंत्रो में उलझाकर तोड़ने का कार्य विदेशी फंडिंग से चल रही है , कई एनजीओ इस कार्य मे लगे हुए है। इन सभी से सावधान रहकर समाज सभी जातियों के आपसी कार्यक्रमो में सहयोगी बने।

उन्होने कहा कि विधर्मी और कम्युनिस्ट मानसिकता सनातन संस्कृति मूल्यों पर आघात कर समाज में अकर्मण्यता पैदा करना चाहती है। समाज एक रहेगा तो सेफ रहेगा। सनातन समाज को तोड़ने के लिए जाति को जन्मना बना दिया गया, जो कभी कर्म के आधार पर थी। कार्य के आधार पर जातियों बनती थी सुथार, लुहार, कुम्हार आदि।

उन्होने अंत में अपने राष्ट्र की आतंरिक सुरक्षा हेतु समाज को संगठित और सचेत होने का आह्वान किया।

मुख्य वक्ता के उद्बोधन उपरांत समाज के प्रबुद्ध जनों ने अपनी जिज्ञासायें रखी। कल्याण मन्त्र से गोष्ठी का समापन हुआ। गोष्ठी में शिक्षा, चिकित्सा, व्यापार, वाणिज्य धार्मिक, राजनैतिक तथा समाज जीवन से जुड़े प्रबुद्व जन उपस्थित रहे।

इससे पूर्व अतिथियों द्वारा द्वीप प्रज्जवलन उपरांत मंच का परिचय रमेश गरासिया द्वारा कराया गया। कार्यक्रम की भूमिका संघ के विभाग संपर्क प्रमुख अमित चौधरी ने रखी। संचालन धनंजय पाठक ने किया। अंत में आभार अशोक सुथार ने व्यक्त किया।

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