पुरातन काल से भारतीय संस्कृति में मातृशक्ति की महत्ता: ओके मोहन
संघ का गुणवत्ता शारीरिक प्रदर्शन एवं नगर एकत्रीकरण कुशलबाग मैदान में सम्पन्न
बांसवाड़ा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर बांसवाड़ा का गुणवत्ता शारीरिक, घोष एवं संचलन प्रदर्शन नगर के कुशलबाग मैदान में आयोजित हुआ। संघ के अखिल भारतीय सह शारीरिक शिक्षण प्रमुख ओ. के. मोहन ने इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह एवं स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 100 वर्षों की यात्रा, संघ का उद्देश्य, पंच परिवर्तन के विषय में विस्तार से बताया।
ओ के मोहन ने कुशलबाग मैदान में स्थित विशाल राष्ट्रध्वज को देखकर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि संघ का कार्य राष्ट्र साधना है। भारत के इतिहास में यह देखने में आया है कि जब-जब देश को आवश्यकता हुई संघ के स्वयंसेवक आगे आए है। रानी दुर्गावती की 500 वीं पुण्य स्मरण दिवस तथा अहिल्याबाई के 300 जन्म जयंती वर्ष का जिक्र करते हुए पुरातन काल से भारतीय संस्कृति में माता बहनों की महत्ता के गौरव को बताया।
ओ के मोहन ने इस अवसर पर आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती तथा बिरसा मुंडा को स्मरण किया।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब भारत में हिंदुओं का आत्मविश्वास कम हो गया था। आत्मविश्वास विस्मित हिंदू समाज को संगठित करने के लिए वर्ष 1925 में नागपुर के मोहितो के बाडे में संघ की शाखा प्रारंभ की। परम पूज्य डॉक्टर साहब की साधना और तपस्या के आज 100 वर्ष पूर्ण होने जा रहे हैं। आज भारत और हिंदू समाज का विश्व में महत्वपूर्ण स्थान हम सभी देख पा रहे हैं, यह अत्यंत गर्व का विषय है।
उन्होंने कहा कि भारत एक हिंदू राष्ट्र है, जिसका अर्थ है कि भारत में हिंदू संस्कृति से जीवन जीने की पद्धति है। रविंद्र नाथ ठाकुर ने कहा था कि हर गांव में एक नायक की आवश्यकता है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 100 निष्ठावान कार्यकर्ता भारत के निर्माण के लिए चाहिए। मदन मोहन मालवीय ने ग्राम-ग्राम मल्ल शाला की बात कही थी। पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने कहा था कि देश को बढ़ाने के लिए यहां की संस्कृति को मजबूत करना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने 100 वर्ष की यात्रा में इसी कार्य में संलग्न है।
ओके मोहन ने कहा कि विद्या भारती देश भर में शिक्षा के क्षेत्र में संस्कार और संस्कृति से युक्त नन्ही पौध तैयार कर रही है। विश्व हिंदू परिषद धर्म जागरण के माध्यम से राष्ट्र का निर्माण कर रहा है। जनसंघ ने राजनीति में शुचिता की स्थापना की। आज भारत से बाहर भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की 3000 से अधिक शाखाएं चल रही है। आपने पंच परिवर्तन का उल्लेख करते हुए सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, स्व का जागरण, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य की बात कही।
आयोजन की मुख्य अतिथि वागड़ की युवा प्रतिभा राष्ट्रीय कराटे खिलाड़ी सुश्री खुशिता जैन ने समस्त बालिकाओं माता बहनों से आग्रह किया कि आत्मरक्षा के निमित्त आत्म विश्वास जगा कर बहन बेटियों को आगे बढ़ना होगा।
खुशीता ने कहा कि मेरे परिवार ने मुझे आगे बढ़ाया जिसका परिणाम है कि आज में अपनी प्रतिभा से अपने क्षेत्र का नाम आगे बढ़ा सकी। आप आगे बढ़े प्रयास करें सफलता अवश्य मिलेगी।
कार्यक्रम में आभार नगर संघचालक जयंतीलाल भट्ट ने व्यक्त किया।
सायं ठीक 4.30 बजे संघ स्वस्थान की आज्ञा और घोष की सुमधुर धुन पर संघ के भगवा ध्वज के आरोहण से प्रारंभ संघ शाखा में जब स्वयंसेवकों ने शाखा में नित्य किए जाने वाले योग व्यायाम का दक्षता पूर्वक प्रदर्शन किया तो आगंतुक नगरवासी आनंद और उल्लास से भर गए।
डेढ़ घंटे के गुणवत्ता प्रदर्शन में 300 से अधिक पूर्ण गणवेशधारी स्वयं सेवकों ने दंड के स्वागता प्रकार, शिरमार, क्रमिका चतुष्क, भेद, भुज दंड, नियुद्ध के भूमिवंदन, मुष्ठिमार, पार्श्व अस्थि प्रयोग, पद प्रहार, प्रत्युत्प्रचलनम्, प्रदक्षिणा संचलन, घोष प्रदर्शन, सामान्य दण्ड, दण्ड युद्ध, अनवरत दण्ड, पद विन्यास, नियुद्ध, क्रमेण समता, गण समता, गोपुरम, दण्ड योग, व्यायाम योग, योगासन, सामूहिक समता, संचलन का गुणवत्ता प्रदर्शन किया गया। संघ की घोष वाहिनी ने शंख आणक, वंशी का प्रयोग कर सम्पूर्ण मैदान में सुमधुर घोष गुंजीत कर दिया। इस अवसर पर सामूहिक गीत, सुभाषित और अमृत वचन का पाठ स्वयंसेवकों ने किया।
शाखा समय में सम्पूर्ण दिशा निर्देश शुद्ध संस्कृत में बोले गए जिसकी पालना करते हुए स्वयंसेवकों ने दंड, नियुद्ध और योगासन का कुशलता पूर्वक प्रदर्शन किया। इस तरह के अनूठे और संस्कृतनिष्ठ निर्देशों को सुन कर आगंतुक अतिथि, माताएं बहनें आनंदित हो गई।
संघ प्रार्थना एवं ध्वज अवतरण के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।
