बाबा साहेब अंबेडकर की जीवन स्मृति पर संगोष्ठी का आयोजन
समृद्ध विचार समृद्ध खटीक समाज संगठन भीलवाड़ा द्वारा “वर्तमान परिप्रेक्ष्य में बाबा साहेब डॉ अंबेडकर के विचार” विषयक संगोष्ठी का आयोजन सामुदायिक भवन पंचमुखी बालाजी रोड़ पर किया गया।
संगठन के अध्यक्ष सीताराम खींची ने बताया कि संगोष्ठी में मुख्य अतिथि चिकित्सा अधिकारी डॉ घनश्याम चावला, अध्यक्षता समाजसेवी प्यारेलाल खोईवाल एवं मुख्य वक्ता सहायक आचार्य डॉ सुनील खटीक थे।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ खटीक ने समाज की उत्पत्ति, भगवान शिव एवं शक्ति पुजा की परंपरा और डॉ अंबेडकर के वक्तव्यो से आस्था का महत्व बताते हुए कहा कि जीवन में उत्साह का होना आवश्यक है।
बाबा साहेब की शिक्षा, सामाजिक संघर्ष एवं राजनैतिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे सदैव शिक्षा के साथ चरित्र पर विशेष जोर दिया करते थे। बाबा साहेब कहते थे बिना विनम्रता एवं चरित्र का शिक्षित व्यक्ति जानवर से अधिक भयावह है।
डॉ अम्बेडकर ने संसदीय व्यवस्था को लोकतंत्र की श्रेष्ठ प्रणाली बताई। उन्होने कहा कि सामाजिक कानून का निर्माण जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियो द्वारा होना चाहिए। कोई एक स्वयं को सर्वज्ञ नहीं मान सकता। उन्होंने राजनैतिक अराजकता से लोकतंत्र को खतरा बताया था।
डॉ खटीक ने कहा कि आज के परिप्रेक्ष्य में 93वे संविधान संशोधन के कारण खत्म हुए अवसरो और बालाकृष्णन आयोग द्वारा संविधान आदेश (अजा) 1950 में किसी भी परिवर्तन की संभावना पर अनुसूचित जाति के हितो को नुकसान पहुंचने की अनुसूचित वर्ग में चिंता है।
वक्ता ने कथित साम्प्रदायिक गठजोड़ थोपे जाने के कारण उत्पन्न होने वाली राजनैतिक, सामाजिक, शासकीय, डेमोग्राफिक एवं मानवाधिकार संबंधित चुनौतियो को उदाहरण सहित रखा।
जम्मू-कश्मीर में वाल्मिकि परिवार के साथ हुए असंवैधानिक व्यवहार को भी सामने रखा गया। 1970 में आमरण अनशन के कारण हुए भगत अमरनाथ के बलिदान का स्मरण किया।
सिंध में अनुसूचित जाति की नाबालिग बच्चियो को जबरन मतांतरण, यौन शोषण एवं निकाह की लगातार हो रही घटनाओ पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय से दखल देने की मांग गई।
अंत में डॉ खटीक ने कहा कि दो समुदाय ही नहीं, बल्कि संविधान की भावना अनुरूप समस्त भारतीयो मेें भाईचारे की भावना व्यक्त की गई।
संगोष्ठी का संचालन श्याम लाल चावला व धन्यवाद अध्यक्ष सीताराम खींची ने किया। इस दौरान समाजसेवी कैलाश खोईवाल, शिव डिडवानिया भीलवाड़ा, मदन चंदेल आसिन्द, रतन पहाड़िया बिगोद, छगन खींची, ताराचंद जी चन्देल बदनोर, भंवर बागड़ी बिजौलिया, संजय डिडवानिया, राजमल खींची जहाजपुर सहित गणमान्य लोग उपस्थित थे। संगोष्ठी का शुभारंभ बाबा साहेब अंबेडकर के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया गया। स्वागत भाषण संगठन सचिव छगन खींची ने दिया।
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