जन्म दिवस

विचार, वाणी और कलम के धनी रामशंकर अग्निहोत्री

श्री रामशंकर अग्निहोत्री का जन्म मध्य प्रदेश के सिवनी-मालवा क्षेत्र के होशंगाबाद जिले में 14 अपै्रल, 1926 को हुआ था। बचपन से ही शाखा और लेखन के प्रति रुझान के कारण वे प्रचारक तथा पत्रकार बने।

कांग्रेस द्वारा मुस्लिम तुष्टीकरण तथा विभाजन की बन रही परिस्थिति के बीच शिक्षा अधूरी छोड़कर 1944 में वे प्रचारक बन गये। प्रारम्भ में उन्हें मंडला जिला प्रचारक बनाया गया। 1949 में वे अ0भा0विद्यार्थी परिषद की महाकौशल इकाई के संगठन मंत्री तथा 1951 में विंध्य प्रदेश जनसंघ के संगठन मंत्री रहे।

इसी बीच उन्होंने सागर वि.वि. से स्नातक एवं नागपुर वि.वि. से पत्रकारिता में डिप्लोमा प्राप्त कर लिया। 1956 से 1964 तक वे महाकौशल प्रांत प्रचारक रहे। इस दौरान उन्होंने बड़ी संख्या में मेधावी युवकों को संघ कार्य में जोड़ा। इनमें से एक श्री सुदर्शन जी आगे चलकर सरसंघचालक बने।

1964 में उन्हें लखनऊ भेजा गया। वहां उन्होंने ‘राष्ट्रधर्म’ मासिक पत्रिका को पुनर्जीवित किया और 1968 तक उसके सम्पादक रहे। इसके बाद उन्होंने पांचजन्य, युगवार्ता, दैनिक युगधर्म, हिन्दुस्थान समाचार, सांध्य दैनिक आकाशवाणी आदि अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन किया।

इस बीच वे ‘कश्मीर सत्याग्रह’ में भी सक्रिय रहे। आपातकाल में बनी एकीकृत समाचार संस्था के भी वे उप सम्पादक थे। 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय वे पश्चिमी क्षेत्र के युद्ध संवाददाता रहे। 1981 से 83 तक वे नेपाल में भी विशेष संवाददाता रहे। इस प्रकार पत्रकारिता के हर क्षेत्र में उन्होंने विशेषज्ञता सिद्ध की।

1990 में जब ‘श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन’ ने जोर पकड़ा, तो उन्हें इसके समाचार दुनिया भर में तेजी से प्रसारित करने की जिम्मेदारी दी गयी। प्रारम्भ में वे दिल्ली में ‘श्रीराम कारसेवा समिति, सूचना केन्द्र’ के निदेशक रहे। इसके बाद वे अयोध्या के ‘श्रीराम जन्मभूमि मीडिया केन्द्र’ के निदेशक तथा फिर लखनऊ में ‘मीडिया फोरम फीचर्स’ के सम्पादक रहे। इन सब स्थानों पर उन्होंने पत्रकार जगत को सही एवं अद्यतन सूचनाएं देने का व्यापक तंत्र खड़ा किया।

रामशंकर जी की संघ, जनसंघ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से अच्छी मित्रता थी। अतः जहां उनकी आवश्यकता होती, उन्हें बुला लिया जाता था। 1999 से 2002 तक वे दिल्ली में भाजपा के केन्द्रीय मीडिया प्रकोष्ठ से सम्बद्ध रहे। फिर उन्होंने ‘मीडिया वाॅच’ का सम्पादन और प्रकाशन भी किया।

पत्रकार के नाते उन्होंने तंजानिया, कोरिया, युगांडा, इथोपिया, नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान और इंग्लैंड की यात्राएं कीं। रामशंकर जी को उनकी उपलब्धियों के लिए कई मान-सम्मान दिये गये। इनमें डा. नगेन्द्र पुरस्कार, स्व. बापूराव लेले स्मृति सम्मान, लाला बल्देव सिंह सम्मान तथा म.प्र. शासन द्वारा माणिकचंद वाजपेयी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार प्रमुख हैं।

रामशंकर जी प्रवास और भागदौड़ के बीच भी लिखने का समय निकाल लेते थे। उनके काव्य संग्रह ‘सत्यम् एकमेव’ के साथ ही कश्मीर के मोर्चे पर, राष्ट्र जीवन की दिशा, बाजीप्रभु देशपांडे, सुरक्षा के मोर्चे पर, अविस्मरणीय बाबासाहब आप्टे, कम्युनिस्ट विश्वासघात की कहानी, डा0 हेडगेवार: एक चमत्कार और नया मसीहा जैसी पुस्तकें भी बहुत लोकप्रिय हुईं।

विचार, वाणी और लेखनी के धनी श्री रामशंकर जी एक ध्येयनिष्ठ स्वयंसेवक थे। 1947 के बाद कांग्रेस और वामपंथ की चाटुकार पत्रकारिता के दौर में भी उन्होंने आचरण की शुद्धता और राष्ट्रवादी तेवर बनाये रखे। सात जुलाई, 2010 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में हृदयगति रुकने से उनका देहांत हुआ। 85 वर्ष की इस आयु में भी वे कुशाभाऊ ठाकरे वि.वि. के ‘मानव अध्ययन शोधपीठ’ के निदेशक और अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा रहे थे।

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