श्रुतम्

रोईपुल्लानी-3

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 16

मिजोरम की 84 वर्षीय मुखिया जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध झुकने से स्पष्ट मना किया…

वांडूला एक ऐसा छोटा सा मिजो क्षेत्र था जो मिजोरम के दक्षिण में स्थित था। वांडूला के सरदार की मृत्यु होने के बाद उनकी विधवा रोईपुल्लानी ने गद्दी संभाल ली। उन्होंने वांडूला में स्थित रालवांग गाँव से क्षेत्र का शासन चलाने का उत्तरदायित्व अपने ऊपर लेना आरम्भ कर दिया।
उन्होंने अंग्रेजों के सामने झुकने या उनकी प्रभुसत्ता मानने से स्पष्ट मना कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अंग्रेजों को किसी प्रकार का कोई कर देने से भी स्पष्ट मना कर दिया।

जब से अंग्रेजों ने मिजोरम पर कब्जा किया और मिजो सरदारों के साथ
संधि की थी तब से वे मिजो सरदारों से अनाधिकृत कर वसूलते थे।
यह कर नकद राशि या खेतिहर (कृषि) उपज के रूप में होता था। इतना ही नहीं वे मिजो लोगों को माल ढ़ोने वाले कुली के रूप में भी उपयोग करते थे।

इस कर वसूली और मिजो लोगों की बेगार के बदले में अंग्रेज मिजो सरदारों को अपने-अपने क्षेत्रों पर शासन करने दे रहे थे। अर्थात मीजो सरदारों को कठपुतली बनाकर रखने का ही उनका प्रयास रहता था।
किसी भी तरह के विद्रोह का अर्थ था कि अंग्रेज उस सरदार को गद्दी से हटा देंगे, और क्षेत्र का शासन सीधा अपने हाथ में ले लेंगे।

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