Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् सबके राम-8 “सत्यसंध पालक श्रुति सेतु”
श्रुतम्

सबके राम-8 “सत्यसंध पालक श्रुति सेतु”

सबके राम-8 “सत्यसंध पालक श्रुति सेतु”

‘वीरता’ नायक की पहचान है। लेकिन राम के पास आकर यह मानक बदल जाता है। राम की कथा शौर्य की गाथा तो है परंतु ‘नाराशंसी कथा’ नहीं। राम नरपुंगव तो है पर नृशंस नहीं, राम वीर तो है पर युद्धवादी नहीं। राम की वीरता ‘निसिचर हीन करहुँ महि भुज उठाई पन कीन्ह’ में दिखती है। राम का बाण अचूक है, परंतु हिंसक नहीं हैं।

युद्धनायकों की गाथाओं में हिंसा अनिवार्य तत्त्व है, परंतु जब चरित्र योग की खोज हो तो हिंसा को दूर करना होगा। “वीरता के साथ राम के चरित्र में दो तत्व और जुड़ते हैं, जो उनके जननायक होने का सबसे बड़ा आधार हैं। ये है ‘शील’ और ‘करुणा’।”

राम ईश्वर के अवतार होते हुए भी सामान्य मनुष्य रहे। वे एक ऐसे अवतार हैं, जो सब जानते हुए भी दुःख भोगते हैं और शील का आदर्श गढ़ते हैं। इसलिए विष्णु नारद का श्राप स्वीकार करते हैं। नियति का दिया भोगते वनवास स्वीकारते, देवताओं के षड्यंत्र को जानते, पिता की भूल को अपना आशीर्वाद मानते हुए दुःख झेलते, ऋषियों से राह पूछते, सुग्रीव से मदद लेते, समुद्र से रास्ता माँगते राम विनय और शील का विग्रह बनते हैं। इसलिए राम के साथ शील और विनय धर्म बनकर प्रतिष्ठित होता है।
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