Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् संबूधन फोंगलो-2
श्रुतम्

संबूधन फोंगलो-2

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-26

जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए एक सेना खड़ी की…

आरम्भ में अंग्रेजों ने दीमासा क्षेत्र के असालू में एक जूनियर पॉलिटिकल ऑफिसर तैनात किया।
फिर 1866 में उन्होंने दीमासा क्षेत्र के कुछ हिस्सों को नौगाँव और नागा पहाड़ियों के क्षेत्र में सम्मिलित कर दिया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि अलग-अलग जनजातियों में आपसी शत्रुता बढ़ाई जा सके, जिससे कि वे एक होकर अंग्रेजों का सामना न कर सकें।

“संबूधन फोंगलो अंग्रेजों की ये चाल समझ रहे थे, और इसीलिए उनका अंग्रेजों से लड़ने का संकल्प और भी दृढ़ हो गया।”

संबूधन फोंगलो का जन्म एक दीमासा कछारी परिवार में खसाईदी और देपरोनदाऊ फॉंगलो के यहाँ माईबांग में सन् 1850 में फाल्गुन की पूर्णिमा के दिन हुआ था। वे अपने पाँच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे।
गौरतलब है कि अनेक कछारी जनजातियों में से दीमासा भी एक जनजाति है।
संबूधन फोंगलो जब सेमदीखोर गाँव में जाकर बस गए तो इनका विवाह नसादी से हुआ।

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