आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-19
भारत में विज्ञान और तकनीकी के विषय में एक रोचक बात अवलोकनीय है–
एक बार यू.एस. की एजेंसी ने एक सर्वे करवाया। इसको इंडिया टुडे ने 18 दिसंबर, 2019 को प्रकाशित किया। इसका विषय था कि भारत के विज्ञान और तकनीकी शोध-पत्र (Research Papers in Science & Technology) प्रमुख शोध-पत्रिकाओं में प्रकाशित होने वाले हैं, जो किस तेजी से बढ़े हैं उसका उल्लेख है। उसका कहना था कि आज भारत विश्व शोध क्षेत्र में तीसरे नंबर पर है। सन् 2018 में भारत के 1 लाख 35 हजार शोध-पत्र प्रकाशित हुए। 10 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से यह आँकड़ा बढ़ रहा है। नंबर दो पर चीन है, जिसकी विकास दर 7.8 प्रतिशत है। जबकि अमेरिका की विकास दर केवल 0.7 प्रतिशत है।
इंग्लैंड, जर्मनी, इटली, साउथ कोरिया, फ्रांस व जापान आदि देशों से भारत सबसे आगे है। जैसी भारत में समस्याएँ विद्यमान हैं, उनमें इतनी प्रगति करना सहज व आसान काम नहीं था, जो हमने कर दिखाया।
आज हम देख रहे हैं कि अन्य क्षेत्रों में भी भारत तेजी से निरंतर आगे बढ़ रहा है। भारत के वैज्ञानिकों की गिनती आज दुनिया के श्रेष्ठ वैज्ञानिकों में होती है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने जो उन्नति की है, वह अपने आप में सराहनीय है। भारत का वैज्ञानिक आज किसी भी प्रकार की मिसाइल बनाने में पूर्ण सक्षम है।
अक्तूबर 2019 में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के प्रमुख जी. सतीश रेड्डी ने कहा है कि “हम मिसाइल, रडार, गन आदि के क्षेत्र में नई तकनीक के मामले में किसी से कम नहीं हैं। आज हम दुनिया को हथियार निर्यात करने में सक्षम हैं।”
Leave feedback about this