श्रुतम्

आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा- 27

आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा- 27

हम जानते हैं कि भारत की आत्मनिर्भरता का अर्थ विश्व कल्याण है। इसी के आधार पर भारत ने विशेष प्रकार की जीवन-शैली और जीवन पद्धति अपनाई है। दुनियां आज जिस मार्ग पर चल रही है, वह विनाश की ओर ही जाता है, विकास की ओर नहीं। यह विनाश अवश्यंभावी है, यह रुकने वाला नहीं है।

ब्रिटिश इतिहासकार आर्नाल्ड टोयन्बी (Arnold Toyanbi) लिखते हैं कि-

“विनाश की शुरुआत पश्चिम ने की है। यह अवश्यंभावी विनाश की ओर जा रहा है। इसका अंत भारत के विचार से ही होना चाहिए। अगर मानवीय समाज अपने अवश्यंभावी विनाश से बचना चाहता है, तो भारत के अलावा कोई दूसरा मार्ग ही नहीं है। तो भारत का मार्ग पकड़ लें। भारत का मार्ग असहिष्णुता और संघर्ष का मार्ग नहीं है, यह प्रेम और सहिष्णुता का मार्ग है। यह दया, ममता और करुणा का मार्ग है, यह प्रकृति के साथ समन्वय और सामंजस्य का मार्ग है। सब मिल-जुलकर रहें। अगर अवश्यंभावी विनाश से बचना है, तो यह दुनियां भारत की शरण ले ले।”

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