पर्यावरण

ऐतिहासिक बावड़ी के लिए श्रमदान एवं धरोहर सुरक्षा का संकल्प 

उदयपुर, 2 अप्रैल । पर्यावरण गतिविधि के अंतर्गत “मेरी धरोहर, मेरी शान” अभियान के तहत गोगुन्दा स्थित प्रातः स्मरणीय महाराणा प्रताप की राजतिलक स्थली पर स्थित 15वीं शताब्दी की ऐतिहासिक बावड़ी में समाजजन ने श्रमदान किया। 

उदयपुर विभाग के पर्यावरण सह संयोजक गणपत लौहार ने बताया कि यह बावड़ी जल संरक्षण हेतु प्रयुक्त प्राचीन बुद्धिमत्ता का परिचायक है, यह बावड़ी भारतीय स्थापत्य कला को प्रदर्शित करती एक अद्वितीय धरोहर है। रखरखाव के अभाव में यह ऐतिहासिक बावड़ी क्षतिग्रस्त हो गई, समाजजन ने सफाई को लेकर श्रमदान कार्य शुरू किया।  हाथों में फावड़ा ओडी लेकर बावड़ी में पड़ी मिट्टी पत्थरों को बाहर निकाला। बावड़ी से बड़े-बड़े पत्थरो को बाहर निकाला गया। खरपतवार, गाजर घास को निकाला। प्रत्येक रविवार को बावड़ी का श्रमदान कर इस ऐतिहासिक बावड़ी काे गंदगी से मुक्त करने का समाजजन ने संकल्प लिया। 

इस अवसर पर प्रांत पर्यावरण संयोजक कार्तिकेय नागर ने बताया कि ये प्राचीन बावडिया हमारी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है तथा  जल संरक्षण और शुद्ध पेयजल का सर्वोत्तम प्राकृतिक स्रोत है। जल बचाने के लिए सभी को मिलजुलकर प्रयास करना होंगे। 

पर्यावरण प्रेमी जसवंत पुंडीर ने प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के बारे में बताया की पॉलीथिन मिट्टी में दबता चला जाता है। मिट्टी में दबने से यह नष्ट तो नहीं होता, लेकिन कई मायनों में यह धरा की आत्मा को ही समाप्त कर देता है। सीधे तौर पर यह मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को नष्ट कर रहा है। प्लास्टिक के निस्तारण के लिए स्कॉर्पिक्स बनाने की जानकारी दी।

इस अवसर पर भूरी लाल कुम्हार, भावेश कुम्हार, जसवंत पुंडीर, ओम प्रकाश, राजू, संजय सोनी, दिनेश पारख, हितेश चित्तौड़ा, दीपक प्रजापत, जितेंद्र सिंह रावत आदि समाज जन उपस्थित रहे एवं सेवा कार्य के पुनीत कार्य में सहयोग दिया।

गणपत लौहार

6376262616

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video