विद्या भारती अखिलभारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा यज्ञ में दिखाया छात्र छात्राओं ने उत्साह

विद्या भारती अखिलभारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा यज्ञ में दिखाया छात्र छात्राओं ने उत्साह

नाहरगढ़ -विद्या भारती शिक्षा संस्थान बारां के मार्गदर्शन में संचालित आदर्श विद्या मन्दिर नाहरगढ़ द्वारा विद्या भारती अखिल भारतीय संस्कृति शिक्षा संस्थान कुरूक्षेत्र के प्रकल्प अखिल भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का आयोजन किया गया।

संस्कृति बोध परियोजना प्रभारी इंद्रराज नागर व प्रचार प्रमुख प्रवीण साहू ने बताया कि परीक्षा में 449 पंजीकृत प्रतिभागियों में से 430 ने प्रतिभाग किया।परीक्षा को संपन्न करवाने हेतु आचार्यों कि मोबाइल टीम का गठन किया गया । दल प्रभारी सुरेन्द्र नागर,आशु यादव, नीलम शर्मा, मीनाक्षी कुशवाहा, मधु खण्डेलवाल, वर्षा साहू, मनीषा सेन द्वारा सम्पर्कित राजकीय व निजी शिक्षण संस्थान आदर्श विद्या मन्दिर सहित महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय नाहरगढ़ नेताजी सुभाष उच्च माध्यमिक विद्यालय, गुरूकुल विद्या पीठ स्कूल नाहरगढ़,सर्वोदय उच्च माध्यमिक विद्यालय भंवरगढ़,ऐलन कान्वेंट भंवरगढ़,ब्राइट फ्यूचर स्कूल भंवरगढ़, गुरूकुल बाल विद्यालय परानिया,राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय बोरेन, स्मार्ट फ्यूचर एकेडमी नाहरगढ़,सागर बाल विद्यालय नाहरगढ़ आदि केंद्रों पर निरीक्षण किया परीक्षा महाकुंभ में उक्त शिक्षण संस्थाओं के प्रभारी व प्रधानाचार्य गोवर्धनलाल रेगर,रवीना तोमर,संजय सोनी, रामस्वरूप शर्मा,अलका चौधरी,रसकुंजा नागर,अविलाश, हरीश भार्गव,रीना गर्ग, जितेन्द्र शर्मा आदि का सहयोग रहा जिनका आभार संस्था के अध्यक्ष रामेश्वर गर्ग द्वारा व्यक्त किया गया।

परीक्षा संयोजक व प्रधानाचार्य सत्यनारायण पांचाल ने बताया कि किसी भी राष्ट्र की सबसे बड़ी संपत्ति उनकी संस्कृति है।संस्कृति एक ऐसा परिवेश है, जिसमें रहकर मनुष्य एक सामाजिक प्राणी बनता है और प्राकृतिक दशाओं को अपने अनुकूल बनाने की क्षमता प्राप्त करता है । संस्कृति का तात्पर्य केवल शिष्टाचार के ढंग से ही नहीं अपितु उस व्यवस्था से है जिसमें हम जीवन के प्रतिमानों,आचरण की विधियों, परंपराओं, विचारों,सामाजिक मूल्यों, धार्मिक विश्वासों और मानवीय क्रियाओं को सम्मिलित करते हैं।

संस्कृति की अभिव्यक्ति साहित्य सर्जन, ललित कलाओं ,पर्वों,त्यौहारों तथा उत्सवों के माध्यम से होती है।इस परीक्षा का उद्देश्य भी सनातन संस्कृति का बीजारोपण बालकों में शिक्षा के माध्यम से करना है।परीक्षा में प्रथम, द्वितीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभाशाली  बालकों को समिति  द्वारा सम्मानित किया जायेगा। 

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