श्रुतम्

ताराबाई भोंसले-4

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 12

ताराबाई भोंसले-4

मराठा रानी जिन्होंने औरंगजेब की मुगल सेनाओं के विरुद्ध सफलतापूर्वक अपने राज्य की रक्षा की…

ताराबाई भोंसले ने अपने समर्थकों के साथ विशालगढ़ में अपने पुत्र का अभिषेक कराया। मात्र 25 वर्ष की आयु में ताराबाई भोंसले ने राजमाता के रूप में मराठा साम्राज्य की कमान हाथ में ली थी।

मुगल दरबार में काम करने वाले इतिहासकार खफी खान ने लिखा है:–
“मराठा सरदारों ने तब राजाराम की एक पत्नी और उसके एक पुत्र की माँ को राजमाता बना दिया। वह एक बुद्धिमान और चतुर स्त्री थी और अपने पति के जीवित रहते उसने प्रशासनिक और सैनिक मामलों की अच्छी जानकारी अर्जित कर ली थी।”

राजाराम जब जिंजी दुर्ग में थे तब ताराबाई पन्हाला मे थीं। रामचंद्र नीलकंठ के मार्गदर्शन में उन्होंने राजनैतिक, प्रशासनिक तथा सैनिक मामलों की शिक्षा भी ग्रहण की। बाद में वे भी जिंजी चली गईं।

अंग्रेज इतिहासकार तथा लेखक रिचर्ड एम ईटन ने अपनी पुस्तक सोशल हिस्ट्री ऑफ द डेक्कन,1300-1761: 8 इंडियन लाइव्स,वॉल्यूम 1 में लिखा है कि:-
“इस समय ग्रहण किया हुआ उनका अनुभव और कौशल उनके बहुत काम आया, क्योंकि इसने उन्हें आत्मविश्वास से भर दिया। फरवरी, 1699 में जब राजाराम और ताराबाई जिंजी दर्ग से वापस आए, तो राजाराम नहीं बल्कि ताराबाई ने ही सेनापति धानाजी जाधव और एक अन्य प्रमुख मराठा सरदार के मध्य विवाद का सफलतापूर्वक निस्तारण किया।” ताराबाई ने इस विवाद में धानाजी जाधव के विरुद्ध निर्णय दिया था।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video