Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् ताराबाई भोंसले-5
श्रुतम्

ताराबाई भोंसले-5

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 12

ताराबाई भोंसले-5

मराठा रानी जिन्होंने औरंगजेब की मुगल सेनाओं के विरुद्ध सफलतापूर्वक अपने राज्य की रक्षा की…

ताराबाई भोंसले ने जब सत्ता अपने हाथ में ली तो वे मराठों की सर्वोच्च नेता और शक्ति केंद्र बन गईं। उन्होंने सारे राजकाज का कार्यभार इतनी अच्छी तरह से संभाला कि उनकी अनुमति और आज्ञा के बिना बड़े से बड़ा मराठा सरदार भी कोई कदम नहीं उठाता था। इससे मराठों की एकीकृत शक्ति बहुत बढ़ गई और मराठा साम्राज्य को बहुत लाभ हुआ।

मुगल दरबार का इतिहासकार खफी ख़ान लिखता है:-
“ताराबाई ने अपने व्यवहार और नीतियों से सारे मराठा सरदारों को एक कर दिया और औरंगजेब की सारी सैन्य मुहिम और शक्ति के उपरांत भी मराठों की शक्ति दिन प्रतिदिन बढ़ती चली गई।”
पुर्तगाली भी ताराबाई को मराठों की एकछत्र रानी मानते थे।

ताराबाई भोंसले ने सन् 1700 ई. से सन् 1707 ई तक अकेले अपने दम पर औरंगजेब की मुग़ल सेना के विरुद्ध मराठा सुरक्षा दीवार को अभेद्य रखा। मुगल साम्राज्य तत्समय अपनी शक्ति की पराकाष्ठा पर था, परंतु ताराबाई के समक्ष उसकी एक नहीं चल पा रही थी। एक दुर्ग से दूसरे दुर्ग जाकर वे मराठा सेनाओं को प्रेरित करती थीं और उनमें साहस भरती थीं।

उन्होंने मुगलों की ही नीति से मुगलों को मात दी। जब उन्हें लगता था कि शत्रु सेना अधिक प्रबल है तो वे शत्रु सेनापतियों और सरदारों को दिग्भ्रमित कर उपकृत करने की वंचिका देकर या अन्य तरीकों से अपने पक्ष में कर लेती थीं। इस प्रकार वे युद्ध का निर्णय अपने पक्ष में मोड़ लेती थीं।

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