सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 12
ताराबाई भोंसले-6
मराठा रानी जिन्होंने औरंगजेब की मुगल सेनाओं के विरुद्ध सफलतापूर्वक अपने राज्य की रक्षा की…
महान और सफल भारतीय राजा सदैव नीति के अनुसार शत्रु के आक्रमण से पहले आक्रमण करके शत्रु के क्षेत्र को और उसकी सेना को भयभीत करके अपना दबदबा कायम रखते थे। इस नीति से शत्रु आक्रमण करने के विचार से दूर ही रहता था।
इस नीति का बड़ा उदाहरण–
(उड़ीसा के राजा नरसिंह देव ने यही नीति अपनाकर अपने राज्य को सुरक्षित रखा था। उन्होंने सन् 1244 ई में अफगान तुग़न खान को मात दी था। इसी कारण से कितने ही वर्षों तक दिल्ली सल्तनत और बंगाल के नवाबों ने उड़ीसा पर आक्रमण करने की बात सोची तक नहीं थी।)
ताराबाई भोंसले ने भी यही नीति अपनाई और मराठा सेनाओं को उत्तर में स्थित मुगल क्षेत्रों तक आक्रमण करने के लिए भेजा। दक्षिण में स्थित दुर्गों का इस हाथ से उस हाथ में आना जाना लगा रहने के उपरांत भी उन्होंने अपनी इस नीति पर अनुसरण किया।
‘इस नीति का पालन करते हुए’ ताराबाई भोंसले ने निम्न जगहों पर सफलतापूर्वक मराठा सेनाओं को भेजकर अपना शौर्य पराक्रम दिखाकर दबदबा कायम किया:–
- सन् 1700 ई: ताराबाई ने 50 हज़ार मराठों की एक सेना वर्तमान उत्तर पश्चिमी मध्यप्रदेश में स्थित गुना के चंदेरी क्षेत्र तक भेजी और मराठों का दबदबा कायम किया।
- सन् 1702 ई: मराठों ने खानदेश, बेरार, तेलंगाना, महाराष्ट्र के उत्तर और पूर्व स्थित सीमावर्ती राज्यों पर सफल आक्रमण किया।
- सन् 1703 ई: खानदेश और मालवा में स्थित शहरों जैसे कि उज्जैन, बुरहानपुर, मुंडा और सिरोंज पर सफलतापूर्वक आक्रमण किए।
- सन् 1705 ई : गुजरात और खानदेश में शहरों पर सफलतापूर्वक छापे मारे।